Chankya Niti Quotes : आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि यदि किसी बच्चे में कुछ विशेष गुण हैं तो वह बच्चा अपने गुणों की वजह से अपने माता पिता का नाम दुनिया में रोशन करता है। ये गुण कुछ विशेष बच्चो में पाए जाते हैं और ये इन गुणों के साथ ही पैदा होते हैं।
आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता, आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे तक्षशिला विश्व विद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक शास्त्र और कृषि शास्त्र से सम्बंधित कई महान ग्रन्थ लिखे, जिनका अनुसरण करके आज भी उनके अनुयायी इनका लाभ लेते हैं। हज़ारों साल पहले कही गयीं उनकी नीतियां आज भी अनुसरणीय हैं। आप भी आचार्य चाणक्य की नीतियों पर अमल करके जीवन को खुशहाली और सुख शांति से भर सकते हैं। आचार्य का नीतिज्ञान कठोर अवश्य है लेकिन आमजन के लिए फायदेमंद है। आचार्य ने अपने निति शास्त्र में कहा है की यदि किसी बच्चे में जीवन बदल देने वाले ये गुण हैं तो उसके माता पिता के जीवन में खुशियां और समृद्धि बढ़ती है.. आइये जानते हैं वो गुण क्या हैं :
बुद्धिमान
आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों में जो मूल और स्वाभाविक गुण होना चाहिए वो है बुद्धिमानी। अगर ये गुण किसी बच्चे के पास है तो वह जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है। कहा भी जाता है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति हज़ार मूर्खो से ज्यादा बेहतर होता है, ये गुण बच्चे की व्यव्हार कुशलता और काम करने के तरीके से देखा जा सकता है, ऐसा बच्चा जीवन के हर क्षेत्र में अपने माता पिता के लिए ख़ुशी और खुशहाली लाता है।पढ़ाई-लिखाई और जीवन के विभिन्न कार्यों में बुद्धिमानी ही सबसे अच्छा गुण माना गया है।
बुरी आदतों से दूर रहने वाला
बिना किसी बुरी आदत या संगति वाला बच्चा एक खजाने की तरह होता है, ऐसा बच्चा अपने माता पिता और अपने आस पास के लोगों को हमेशा खुश रखता है। आचार्य चाणक्य अपने नीति शास्त्र कठोरता पूर्वक कहते हैं क़ि यदि बच्चों में बुरी आदतें, व्यसन या कुसंगति का प्रभाव है तो उनके जीने का कोई अर्थ नहीं,ऐसे जीवन से मर जाना बेहतर है। ऐसे बच्चे हमेशा अपने माता पिता को दुःख और कष्ट के अलावा कुछ नहीं देते। जबकि अच्छी आदतों वाले, और विभिन्न तरह के व्यसनों से दूर रहने वाले बच्चे अपने माता पिता को हमेशा खुश रखते हैं और समाज में नाम कमाते हैं,अच्छे चरित्र वाले कहलाते हैं।
बड़ों का सम्मान करने वाला
चाणक्य कहते हैं कि कोई बच्चा जब अपने माता पिता और अन्य बड़े लोगों का सम्मान व् आदर करता है तो इसका अर्थ है कि वह उनसे प्यार और स्नेह भी करता है। ऐसा बच्चा हमेशा ही सबको खुश रखता है और स्वयं भी खुश रहता है। इसलिए इस गुण का होना काफी अच्छा माना गया है।चतुर
बच्चों में जितना बुद्धिमानी का गुण होना चाहिए उतना ही चतुराई का भी गुण होना चाहिए। यदि पुत्र मुर्ख है, एक बात बार बार बतानी या सिखानी पड़ती है तो जीवन में वो उन्नति या समृद्धि प्राप्त होने के मौके मिलने के बावजूद भी वह उन मौकों का लाभ कम ही उठा पायेगा। इसके अलावा माता पिता भी खुश नहीं होंगे। जीवन में प्रगति के लिए चतुरता का होना भी काफी महत्वपूर्ण है वर्ना आजकल हर कोई आता जाता भी, व्यक्ति को ठग लेता है।
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