हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति में है ये खूबसूरत प्राकृतिक झील

हिमाचल प्रदेश अपनी बेपनाह प्राकृतिक खूबसूरती के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है इस बात में कोई संदेह नहीं है, इस खूबसूरती को निहारने के लिए करोड़ों लोग हर साल हिमाचल प्रदेश का रुख करते हैं। यहाँ बहुत सी ऐसी जगहें हैं जहाँ तरोताज़ा होने और प्रकृति को करीब से देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक उमड़ते हैं। डलहौज़ी, पांगी, भरमौर, मशोबरा, स्पीति, बड़ा भंगाल आदि ऐसे ही अनछुए भू-भाग हैं जिनकी ख़ूबसूरती लाखों लोगों के मन को अपनी ओर आकर्षित करती है। लाहुल और स्पीति जिला में लाहुल और स्पीति, दो खण्डों के मध्य में कुंजम दर्रे में एक प्राकृतिक झील है जिसका नाम है, चन्द्रताल झील ये खूबसूरत झील समुद्रतल से 4,300 मीटर यानि लगभग 14100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। चारों ओर से बर्फीले पहाड़ों से घिरी यह झील चन्द्र नदी का उदगम स्थान है। आगे चलकर तांदी नामक स्थान में चन्द्र नदी लाहुल की भागा नदी से मिलती है और चन्द्रभागा बन जाती है , यही चन्द्रभागा, जम्मू काश्मीर में पहुँचती है जहाँ उसे चेनाब के नाम से जाना जाता है।   

                                                              
                       
 चन्द्रताल झील         फोटो :  wikipedia 

खूबसूरत प्राकृतिक झील के बारे में 

शीत मरुस्थल कहलाने वाले लाहुल स्पीति जिला का यह स्थान भी अतिशीत क्षेत्र के श्रेणी में आता है। इस झील का आकार चन्द्रमाँ की तरह दिखाई देता है इसलिए इस झील का नाम चन्द्रताल पड़ा। कुछ साल पहले तक यह झील केवल लोगों की जानकारी तक ही सीमित थी लेकिन इस अति दुर्गम जिले में सडकों के निर्माण के कारण अब यहाँ आना हर किसी के लिए संभव हो गया है। चन्द्रताल दुनिया भर के ट्रैकर्स और पर्यटकों के लिए एक अच्छा Destination है। ट्रैकर्स यहाँ कैंपिंग का भी पूरा मज़ा उठाते है। दुनिया की भीड़ भाड़ और शोर से सैंकड़ों मील दूर यह स्थान ,मन को शांति और आनन्द प्रदान करने वाला है। पैदल सफर न कर पाने वाले पर्यटक यहाँ वाहन से आ सकते हैं। 

चन्द्रताल झील का व्यास लगभग 2. 5 किलोमीटर है जबकि इसकी अधिकतम गहराई 42. 50 मीटर के आस पास है। यह क्षेत्र साल के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है इसी कारण से यहाँ पेड़ पौधे नहीं पाए जाते केवल हरी हरी घास ही यहाँ उग पाती है जिस की चाह में चरवाहे यहाँ अपनी भेड़ बकरियों को चराने के लिए आते हैं। झील के चारों ओर बड़े बड़े मैदान हैं जहाँ, मई से सितम्बर तक ट्रैकर्स के कैंप दिखाई देते हैं। बाकि के महीनों में यहाँ आना मतलब, मौत को दावत देना। यहाँ आने वाले कई ट्रैकर्स में से कुछ कभी वापस नहीं गए, क्योंकि यहाँ ख़ूबसूरती के साथ साथ बहुत खतरा भी होता है जब बर्फ के कारण सड़कें बंद हो जाती हैं और दुनिया भर से इन क्षेत्रों का सम्पर्क टूट जाता है। यहाँ ऑक्सीजन की मात्रा भी प्रायः कम हो जाती है। जिस वजह से यहाँ ज्यादा समय तक रुकना संभव नहीं है। 

चन्द्रताल झील - एक रहस्यमयी झील 

चन्द्रताल झील को हमेशा से ही एक रहस्यमयी झील माना जाता है। आध्यात्मिक तौर पर इस झील को तीर्थ स्थल भी माना जाता रहा है। हिन्दू धर्म के पौराणिक लेखों में भी इस झील के बारे वर्णन मिलता है। व्यापक और विश्वसनीय रूप से माना गया है कि पाण्डवों को, स्वर्ग के देवता इन्द्र का रथ इसी स्थान से स्वर्ग निवास के लिए ले गया था। यह झील अपनी जलपरियों के लिए भी प्रसिद्ध है। लाहुल स्पीति के हंसा गाँव के एक चरवाहे को इस खूबसूरत झील में रहने वाली एक जलपरी से प्यार हो गया था। लेकिन वह चरवाहा इस झील के आस पास ही कहीं खो गया था जिसे आज भी उसके साथी ढूंढने के लिए आते हैं। 

यह झील चन्द्र नदी का उद्गम है लेकिन इस झील का उदगम कहाँ है, ये कोई नहीं जानता। यहाँ पानी के आने का कोई स्त्रोत नहीं दिखाई देता लेकिन पानी निकलने का स्त्रोत अवश्य दिखता है जो आगे चलकर चेनाब के नाम से जाना जाता है। साल 2004 के आस पास झील के पास एक उड़नतश्तरी ( UFO) के देखे जाने के बाद से यह जगह ज्यादा मशहूर हो गई। ISRO ने भी इस पर अनुसन्धान ( Research ) की है। आस पास के गांवों के लोगों ने बहुत बार यहाँ उड़नतश्तरी के देखे जाने के दावे किये है।   
                                                                           

फोटो :   wikipedia 


इस झील का पानी इतना स्वच्छ और निर्मल है कि दिन के उजाले में लगता है जैसे नीला आकाश इस झील में ही समाहित हो गया हो। दिन भर सूरज के चलने के साथ साथ झील का पानी अपने अलग-अलग रूप और रंग दिखाता है, कभी लाल, कभी नीला, कभी नारंगी तो कभी फिरोज़ी। आकाश और चारों तरफ की पहाड़ियों की छवि झील के निर्मल पानी की लहरों में बेशकीमती रत्नों की तरह दिखाई देती है। यह सब आकाश से आने वाले प्रकाश का जादू है या भ्रम, इसका अनुसन्धान निरंतर जारी है।

हिमालय की गोद में स्थित इस झील से लगभग 30 किलोमीटर दूर सूरजताल भी ऐसी ही अतुलनीय झील है जो चंद्रताल के प्रेमी के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मान्यता है कि चन्द्रा और भगा दोनों प्रेमी हैं। चन्द्रा को चन्द्रमा की रूपवती पुत्री और भगा को सूरज का तेजस्वी पुत्र, में बताया गया है। लेकिन भाग्य के अनुसार दोनों के माता पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था इसलिए दोनों प्रेमी यहाँ नहीं मिल पाए तो उन्होंने वहां से भागने का फैसला किया और तांदी नामक स्थान पर जाकर उनका भव्य मिलन हुआ जहाँ उन्होंने दिव्य विवाह किया, तांदी में दोनों मिलकर चन्द्रभागा के रूप में जाने जाते हैं जो उनके दिव्य मिलन का प्रमाण है।    

चन्द्रताल तक कैसे पहुंचें   

इस अनुपम झील तक आने के लिए साल में केवल मई से सितम्बर महीने तक का समय सबसे अनुकूल है। बाकि महीने यहाँ आना आम आदमी के लिए सम्भव नहीं है। सबसे मनाली और रोहतांग दर्रे तक का रास्ता सड़क मार्ग से पूरा किया जाता है। इसके बाद रोहतांग से 7 - 8 घंटे का सफर कर यहाँ पहुंचा जा सकता है। रोहतांग दर्रा पार करने के बाद पहला गांव ग्रांफू है जहाँ से दो मार्ग हैं जिनमे से एक लेह लद्दाख और दूसरा लाहुल स्पीति की ओर जाता है। चन्द्रताल यहाँ से 50 किलोमीटर आगे है। ये मुख्य सड़क बातल गाँव तक है, यहाँ केवल दो ही इमारते हैं इसके आगे कोई निर्माण नहीं है।  एक ईमारत सरकारी विश्राम गृह है और दूसरी में चंद्रा ढाबा है जो पिछले 40 सालों से यहाँ है। इस ढ़ाबे को चलाने वाले दम्पति ने पिछले 40 सालों में सैंकड़ों लोगों की जान विभिन्न हादसों व विपरीत स्थितियों में बचाई है जिनके लिए उन्हें कई बार पुरस्कृत भी किया गया है। बातल से आगे भी सड़क है परन्तु वह भी भरी बर्फ़बारी के बाद ख़राब स्थिति में होती है इसलिए झील तक अनुकूल समय में जाना चाहिए। 

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