आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि मनुष्य को अपनी कुछ आदतों या जीवन पद्धतियों पर ध्यान देने और उन्हें सुधारने की जरूरत होती है यदि ऐसा नहीं किया जाता तो मनुष्य समय से पहले ही बूढ़ा होने लगता है।
चाणक्य नीति: आचार्य चाणक्य ने सैंकड़ों साल पहले अपने नीति शास्त्र में ऐसी उपयोगी नीतियों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया है जो आज भी मनुष्य के लिए पथ प्रदर्शक का काम करती हैं। चाणक्य ने बच्चों से लकर बूढ़ों तक तथा महिला व पुरुष सबके लिए सफलता दिलाने वाली नीतियों के बारे में उल्लेख किया है। आज के समय लिहाज़ से ये नीतियां सभी के लिए उपयोगी साबित होती हैं यदि उन पर अमल किया जाये। आचार्य की नीतियां कठोर जान पड़ती हैं लेकिन सही ज्ञान व् उपयोग मनुष्य के जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना देता है। आचार्य ने ऐसी ही कुछ बातें मनुष्य की कुछ गलत आदतों और जीवन जीने के बारे में कही हैं जिनके कारण मनुष्य उम्र से पहले ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है। उम्र से पहले ही बूढ़ा दिखाई देना दूसरे लोगों के सामने अपमानित होने जैसा लगता है। आइये जानते हैं आचार्य ने कौन सी ऐसी आदतों के बारे में कहा है :
जो व्यक्ति ज्यादा सफर करता है
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति ज्यादातर समय यात्रा करता रहता है. वो समय से पहले ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है। एक जगह से दूसरी जगह सफर करते रहने से आदमी की खाने-पीने और रहन-सहन की आदतों में बार बार परिवर्तन होता रहता है। जिससे शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है। समय पर खाना न खाना या गलत समय पर खाने के कारण शरीर कमजोर हो जाता है जिससे त्वचा ढीली पड़ने लगती है। सही पोषण ने मिलने से बाल सफ़ेद होने लगते हैं और आदमी बूढ़ा लगने लगता है इसलिए जितना हो सके व्यर्थ के सफर से बचना चाहिए और सफर के दौरान अपने खाने पीने को लेकर सावधान व् जागरूक रहना चाहिए।
नकारात्मक सोच वाले लोग
आचार्य के अनुसार नकारात्मक सोच वाले लोग जल्दी बूढ़े लगने लगते है। नकारात्मक सोच वाले लोग जीवन में कभी खुश नहीं रह पाते। वे खुलकर जीवन नहीं जीते हैं। नकारात्मकता के कारण उनके मन में नकरात्मक विचार ही आते हैं इसलिए हमेशा दुखी रहते हैं। चिंता व दुःख के कारण हमेशा चिंतित रहते हैं। और जैसा कि कहा भी गया है कि चिंता चित्ता के सामान है। इस कारण व्यक्ति समय और उम्र से पहले ही अपनी जवानी खो देता है। इसलिए हमेशा सकरात्मक सोच रखनी चाहिए, सकारात्मक लोगों की संगती की चाहिए जिससे मन हमेशा प्रसन्न रहे।
शारीरिक सुख न मिलना
मानसिक शांति के साथ तन का सुख यानि शारीरिक सुख बेहद जरुरी होता है। इससे ही व्यक्ति के सुखी और खुशहाल जीवन का पता चलता है। शारीरिक सुख चाहे यौन सुख का हो या आरामदायक जीवन का, इन दोनों से व्यक्ति सुखमय जीवन बिताता है। गृहस्थ पुरुष या महिला की वासना की पूर्ति न हो तो उसे शारीरिक सुख का न मिलना कहते है। या हमेशा घर, व्यापार या ऑफिस के काम में लगे रहना भी शारीरिक सुख से वंचित कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति दुखी या थका हुआ रहता है जिससे उसका चेहरा ही बुझा बुझा सा लगता है और आदमी बूढ़ा दिखाई देने लगता है। इसलिए शारीरिक सुख को हमेशा तरजीह देनी चाहिए।
बीमार व्यक्ति
बीमार व्यक्ति बीमारी के कारण बूढ़ा होने लगता है। बीमारी से शरीर को कष्ट तो होता ही है साथ ही मन भी तनावग्रस्त रहता है। लम्बी बीमारी और अत्यधिक दवाइयों के कारण शरीर कई बार बेडौल हो जाता है। तनाव या टेंशन के कारण व्यक्ति जल्दी बूढ़ा हो जाता है। नशीली दवाओं के कारण भी व्यक्ति उम्र से पहले ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है।
आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई इन बातों पर ध्यान देने और जागरूक रहने से व्यक्ति अपनी जवानी को लम्बे समय तक कायम रख सकते हैं।
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