चाणक्य नीति : आपको आगे बढ़ने से रोकती हैं ये आदतें, जीवन में कभी नहीं होती प्रगति

चाणक्य नीति: हर इन्सान की ये ख्वाहिश होती है कि वह अपने जीवन में उसे प्रसन्न करने वाली हर एक चीज़ को प्राप्त करे। इसी को आम बोलचाल की भाषा में सफल होना कहते हैं, कुछ लोग अपने प्रबल भाग्य के कारण जल्दी सफल हो जाते हैं लेकिन सब मनुष्यों के साथ ऐसा नहीं होता। उन मनुष्यों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, रस्ते में कई तरह की मुश्किलों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है।  हर मनुष्य में कुछ आदतें ऐसी भी होती हैं जिनकी वजह से वह जीवन में कभी प्रगति नहीं कर पाता आइये जानते हैं आचार्य चाणक्य ने इस बारे में क्या बताया है :

                                                                        

सफलता के मार्ग पर चलते हुए कई बार शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ता है लेकिन आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस इंसान का लक्ष्य बड़ा हो उसे कुछ जगहों पर शर्म नहीं करनी चाहिए। 
शर्म करना या किसी बात को कहते हुए झिझकना भी एक आदत है इस तरह की आदतों के कारण आप जीवन में पीछे रह जाते हैं। यही आदतें इंसान को आगे बढ़ने से रोकती हैं। 


अपना धन ना मांगने की आदत  
मनुष्य को धन के लेन - देन में कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए अगर आपने किसी को पैसा उधार दिया है या किसी से अपने परिश्रम का पैसा लेना है तो कभी झिझकना नहीं चाहिए। पैसा बहुत ही परिश्रम करके कमाया गया होता है ऐसे में अगर आपको आपका ही धन न मिले तो आपको आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप बार बार इसी आदत के कारण पैसा फंसाते रहे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। 

आलस्य की आदत 
किसी काम को करने से पहले ही टाल मटोल की आदत किसी के लिए भी अच्छी आदत नहीं हो सकती। काम को टालते टालते कई बार चिड़िया खेत चुग जाती है और आप हाथ मलते रह जाते हैं।  आचार्य ने आलस्य को महापाप कहा है। जिसका कोई प्रायश्चित नहीं है। इस आदत को जितना जल्दी हो सके छोड़ देना चाहिए। किसी काम में सफलता ना मिले और आपने काम छोड़ दिया तो कोई बात नहीं लेकिन उसे शुरू ही ना करना, असफल होने की पहली निशानी है। इसलिए एक बार आलस छोड़कर काम तो शुरू करना ही चाहिए। तभी आगे प्रगति हो सकती है। 

अकेलापन    
अकेले रहना अपने आप में बहादुरी का काम है, कहते भी हैं ना कि अकेले आये हैं अकेले जाएंगे, लेकिन जीवन यात्रा के दौरान समाज का साथ भी बहुत जरूरी है। हाँ, ध्यान या आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो अकेलापन एक महत्वपूर्ण कारक है मुक्ति और शान्ति के मार्ग पर चलने के लिए। परन्तु भौतिक जीवन में समाज का साथ जरूरी है। समाज से आप लेते भी हैं और समाज को ही आप देते भी हैं। कोई व्यक्ति खर्च करेगा तो दूसरे की आमदनी होगी। आर्थिक प्रगति के लिए अकेलेपन और निराशा को छोड़कर समाज के साथ चलना शुरू कीजिये। लोगों के साथ बातचीत करना शुरू कीजिये। अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश करें, समाज ही आपकी सहायता करता है। आचार्य चाणक्य के समतुल्य अर्थशास्त्री आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ, आचार्य कहते हैं कि एक व्यक्ति का खर्चा दूसरे की आय है। इसलिए आय कमाने के लिए दूसरे से खर्च तो करवाइये। अकेलेपन से बाहर निकलें 


मुस्कुरा कर सबसे बात करें   
खुशमिजाज़ी सबसे बड़ा गुण है जो हर मनुष्य में होना चाहिए। ये एक ऐसा गुण है जो दुशमन को भी दोस्त बना देता है। आप खुद को ही देखिये, बाज़ार में दो दुकानदार हैं जिनके पास आपकी जरूरत का सामान है लेकिन एक दुकानदार खुशमिजाज इंसान है तो दूसरा कुछ रुखा सा, आप किसके पास जाएंगे। जी हाँ, आप उस खुशमिजाज दुकानदार के पास जाएंगे भले ही वो आपसे 2 रुपये ज्यादा भी ले ले। इसलिए हमेशा खुशमिजाज़ रहने की कोशिश करें। कुछ लोगों में यह गुण पैदाइशी होता है लेकिन बाकि लोगों को यह गुण खुद में पैदा करना पड़ता है। इसके लिए हर क्षण जागरूक रहें। अपने व्यक्तिगत तनाव का कारण बाहर के लोगों को न समझें। उनसे ख़ुशी से बात करें क्या पता वो आपका ही फायदा कराने आये हों। आज ही नहीं, कल के बारे में भी आज ही सोचें।  

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