हिमाचल प्रदेश अपनी आध्यात्मिक संस्कृति के लिए देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहाँ सैंकड़ों मन्दिर हैं जहाँ निवास कर रहें देवी देवताओं के दर्शन करने के लिए दुनिया के अलग अलग कोने से लोग हिमाचल प्रदेश आते हैं। ऐसा ही एक विश्व विख्यात मन्दिर हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले काँगड़ा जिला में है जहाँ माता बगलामुखी साक्षात् रूप में विराजमान हैं जिनके दर्शनों के लिए लाखों लोग प्रति वर्ष यहाँ आते हैं।
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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित माता बगलामुखी का यह मन्दिर प्राचीन काल में निर्मित है। मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान हिमाचल प्रदेश में कई मन्दिरों का निर्माण किया था जिसमे से एक बनखंडी का एक यह प्रसिद्ध मन्दिर भी है। माना जाता है कि यह पांडवों ने द्वापर युग में इस मन्दिर का निर्माण एक ही रात में कर दिया था, जिसमे सर्वप्रथम अर्जुन और भीम ने युद्ध में विजय पाने और माँ बगलामुखी की कृपा पाने के लिए यहाँ पूजा की थी। आज भी श्रद्धालु यहाँ आते हैं और पूजा-पाठ, हवन, जाप इत्यादि अनुष्ठान करवाते हैं। नियम और निष्ठापूर्वक करवाए गए ये अनुष्ठान माँ बगलामुखी की कृपा से श्रद्धालओं को हमेशा सुख प्रदान करते हैं।
Photo Credit: maabaglamukhitemple.com |
माँ बगलामुखी माँ दुर्गा का तांत्रिक रूप हैं और दस महाविद्याओं में आठवीं हैं। विभिन्न रूपाकारों में इन्हे अष्ट -दस भुजाओं वाली दर्शाया गया है। दुर्गा रूपिणी माँ बगलामुखी अपने भक्तों के हर दुःख हरने वाली, शत्रुनाशक और विजय का आशीर्वाद देने वाली हैं। शत्रुओं का आशय काम, क्रोध,लोभ मद और मोह से है। राज पाट में विजय और मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा दिलाने वाली माँ बगलामुखी राज्याधिकार के योग को सम्भव बनाने वाली हैं। प्राचीन समय से ही यह मंदिर लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है।
बाहर से आने वाले श्रद्धालु एक पैकेज बनाते हैं जिसमे वे एक ही दिन में काँगड़ा के कई मन्दिरों के दर्शन कर लेते है। माता ज्वालाजी मन्दिर से 22 किलोमीटर की दुरी पर माँ बगलामुखी का यह मन्दिर है, कांगड़ा का किला देखने के बाद, यहाँ से लगभग 40 किलोमीटर दूर धर्मशाला में मैक्लॉडगंज और उसके साथ में ही विश्व प्रसिद्ध भागसू नाग मन्दिर है, वहां से निकलकर पर्यटक लोग माता बृजेश्वरी और माता चामुंडा के भी दर्शन कर लेते है। ये सभी मन्दिर विश्वविख्यात हैं और लाखों लोग हर साल यहाँ आते हैं।
प्राचीन समय में यहाँ घने जंगल हुआ करते थे। वन खंड होने की वजह से इस जगह का नाम वनखंडी पड़ा। आज भी यहाँ मन्दिर के आस पास काफी घना वन क्षेत्र है। यह मन्दिर घने पहाड़ी वनों की तलहटी में स्थापित है। मन्दिर क्षेत्र काफी बड़े भू भाग में फैला हुआ है। यह मन्दिर पाषाण निर्मित है, मुख्य मन्दिर का गर्भगृह गोल गुम्बद की तरह है जहाँ माता बगलामुखी की सुन्दर व आकर्षक पाषाण निर्मित मूर्ति स्थापित है। मन्दिर क्षेत्र में और भी कई देवी देवताओं की सुन्दर व आकर्षक मूर्तियां स्थापित हैं। मुख्य मन्दिर में माता बगलामुखी की सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित हैं। इनके अलावा मन्दिर के साथ ही प्राचीन शिवालय में आदमकद का शिवलिंग स्थपित है। मन्दिर क्षेत्र में ही श्रद्धालु के लिए विश्राम गृह और कैंटीन की सुविधा है जहाँ लोग विश्राम करते हैं या कुछ समय के लिए ठहर भी सकते हैं।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार माँ बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु ने की थी। इसके उपरांत ही परशुराम, द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद आदि कई योद्धाओं द्वारा माँ की आराधना करने के बाद ही अनेक युद्ध लड़े गए। रियासत काल में काँगड़ा के कटोच वंश के राजा संसार चन्द यहाँ अक्सर आ कर माता बगलामुखी का आशीर्वाद लेते थे और उसके बाद बाद ही उन्होंने बहुत युद्ध लड़े और उनमे विजयी हुए। बगलामुखी जयंती, और नवरात्री के दौरान तो यहाँ बहुत भारी भीड़ होती है उस समय बहुत से लोग नवग्रह शांति, रिद्धि सिद्धि प्राप्ति और अपने कष्टों के निवारण के लिए यहाँ पूजा पाठ और हवन आदि करवाते हैं।
पुरे भारत वर्ष में माँ बगलामुखी के दो ही मन्दिर हैं जो सिद्ध शक्तिपीठ हैं, इनमे से एक मध्य प्रदेश के दतिया में है और दूसरा हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा में है। हिमाचल में काँगड़ा के अलावा जिला मण्डी के बाखली नामक स्थान पर माता बगलामुखी का प्रसिद्ध मन्दिर है जहाँ काफी स्थानीय और पर्यटक लोगों का आना जाना लगा रहता है। अब तो वहां एक रोप वे का भी निर्माण हुआ है जिससे व्यास नदी को पार करके बड़े ही जल्दी और आराम से मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है।
काँगड़ा के बनखंडी में स्थित यह मन्दिर सड़क के बिलकुल साथ में है, मन्दिर प्रशासन द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए पार्किंग का स्थान उपलब्ध कराया गया है। सड़क के साथ ही दुकाने लगी रहती हैं जहाँ से पूजा सामग्री आदि का सामान आसानी से मिल जाता है। यदि आप यहाँ आना चाहे तो सड़क मार्ग से काँगड़ा या धर्मशाला से यहाँ आया जा सकता है और हवाई मार्ग से आना हो तो गग्गल हवाई अड्डा तक हवाई मार्ग से और वहां से यहाँ तक सड़क मार्ग से आया जा सकता है। साल भर यहाँ आने के लिए मौसम अनुकूल है। एक बार यहाँ अवश्य आएं और माता का आशीर्वाद प्राप्त करें , यहाँ आने वाले असंख्य श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास है कि माँ बगलामुखी अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजतीं, केवल सच्ची श्रद्धा और विश्वास की आवश्यकता है।
जय माँ बगलामुखी।
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