चाणक्य नीति : परिवार के मुखिया की ये गलतियां छीन लेती हैं सारी खुशियां, सड़क पर आ जाता है परिवार

आज के इस आर्टिकल में चाणक्य नीति के अनुसार, कुछ ऐसी गलतियां जिनसे परिवार की खुशियां छिन सकती हैं यही नहीं परिवार सड़क पर भी आ सकता है। इसलिए परिवार के मुखिया को चाहिये कि ऐसी गलतियां न करें, पूरा पढ़ें 

               

                                                                                        



आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जनता आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे तक्षशिला विश्व विद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक शास्त्र और कृषि शास्त्र से सम्बंधित कई महान ग्रन्थ लिखे, जिनका अनुसरण करके आज भी उनके अनुयायी इनका लाभ लेते हैं। हज़ारों साल पहले कही गयीं उनकी नीतियां आज भी अनुसरणीय हैं। आप भी आचार्य चाणक्य की नीतियों पर अमल करके जीवन को खुशहाली और सुख शांति से भर सकते हैं। आचार्य का नीतिज्ञान कठोर अवश्य है लेकिन आमजन के लिए फायदेमंद है।


आचार्य चाणक्य द्वारा नीति शास्त्र में बताई गयीं नीतियों को अगर कोई व्यक्ति अपनाता है या उनकी नीतियों पर चलता है तो हर कदम पर उसे सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है। परिवार के मुखिया के बारे में भी उन्होंने अपने नीति शास्त्र में कुछ जरूरी चीजें बताई हैं जिनका पालन हर परिवार के मुखिया को करना चाहिए। 


आज के इस पोस्ट में कुछ ऐसी गलतियों के बारे में आप जानेगें जिनसे पुरे परिवार पर काफी बुरा असर पड़ता है। परिवार के मुखिया को ऐसी गलतियां करने से बचना चाहिए ;


नियम तोड़ना 

हर परिवार में कुछ नियम बनाये जाते हैं या पिछली पीढ़ी से कुछ नियम चले आ रहे होते हैं जिनका पालन परिवार के हर एक सदस्य को करना होता है। इन नियमो से परिवार में अनुशासन बना रहता है और परिवार के हर सदस्य का भला होता है, उदहारण के लिए परिवार में एक छोटा सा नियम है कि बाहर से आने पर जूते बाहर ही उतारने हैं घर के अंदर बाहर के जूते नहीं लाने हैं ,लेकिन अगर घर का मुखिया खुद ही इस नियम या अनुशासन को तोड़ता है तो बाकि सदस्य भी इस नियम तोड़ेंगे। इसका सीधा असर यह होगा कि ये नियम ही मर जाएगा। घर वालों को देखकर बाहर के लोग भी गंदे जूतों से घर में प्रवेश करेंगे। 


अन्न की बर्बादी करना 

 बात चाहे घर के मुखिया की हो या परिवार के अन्य सदस्य की हो, किसी भी व्यक्ति को अनाज की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। आपके लिए बेशक अन्न की कीमत बहुत कम हो लेकिन उस व्यक्ति की मेहनत के बारे सोचना चाहिए जिसने उसे पैदा किया है , चावल के एक पौधे में केवल 8 से 10 दाने ही लगते हैं, इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि एक थाली में आने वाले चावलों के लिए कितनी मेहनत लगती होगी जितना अन्न आप बर्बाद करेंगे उतना ही आप उस किसान की मेहनत को बर्बाद कर देते हैं। ऐसा करना बहुत ही बड़ी गलती बताया गया है, खाना उतना ही बनाये जितनी जरूरत है, थाली में उतना ही भोजन परोसे जितनी भूख है। अगर परिवार का मुखिया ही यह नियम तोड़ता है और बार बार यही गलती दोहराता है तो इसका प्रभाव परिवार के दूसरे सदस्यों पर भी पड़ता है ,ऐसा करने से परिवार की तरक्की भी रुक जाती है 


व्यर्थ धन खर्च करना  

आचार्य के अनुसार घर के मुखिया को हमेशा सोच समझकर ही धन का उपयोग करना चाहिए।  परिवार की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही धन को खर्च करना चाहिए। और भविष्य के लिए भी धन संचय करना चाहिए। अगर परिवार का मुखिया ही व्यर्थ में या गलत चीजों पर धन का खर्च करता है तो इसका प्रभाव घर के दूसरे सदस्यों पर भी पड़ता है, वे भी फालतू की चीजों में पैसा खर्च करने में नहीं हिचकिचायेंगे। इससे परिवार को भविष्य में पैसे के लिए दूसरों का मुँह देखना पड़ सकता है। अगर आपके पास अथाह धन है तो भी धन बर्बाद नहीं करना चाहिए, इससे अच्छा है कि आप उस पैसे को गरीबों के कल्याण में लगा दें। 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ