पेरिस पैरालंपिक गेम्स : माँ.. इतना पैसा कमाऊंगा कि...निषाद कुमार के बचपन की कहानी, पढ़कर आँखों में आ जाएगा पानी

पेरिस पैरालंपिक गेम्स : पैरालंपिक गेम्स 2024 में ऊँची कूद ( High Jump ) रजत पदक जीत कर देश और हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन करने वाले निषाद कुमार के निजी जीवन की बातें पदक जीतने के बाद काफी वायरल हो रहीं हैं आगे पढ़ें : 


                                                                           

 
हिमाचल के जिला ऊना के अम्ब में जन्मे निषाद कुमार के जीवन के संघर्ष की कहानी न केवल युवाओं के लिए बल्कि सभी के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। जब निषाद आठ साल के थे तो पशुओं के लिए के लिए चारा काट रही माँ के साथ हाथ बटाने लगे और चारा काटते हुए मशीन में अपना हाथ कटा बैठे और हमेशा के लिए अपाहिज हो गए। उस घटना को याद करते हुए उनकी माँ पुष्पा देवी ने बताती हैं कि इस घटना के बाद एक ही चिंता सताती थी अब इस बच्चे का क्या होगा, जब तक जीवित हैं तब तो इस पर कोई आंच नहीं आने देंगे लेकिन बाद में इसका क्या होगा और इसका गुजारा कैसे होगा। 



एक दिन बालक निषाद ने अपनी माँ को चिंतित देखा तो कहा, माँ... तुम मेरी चिंता न करो.. मैं इतना पैसा कमाऊंगा कि तुम्हें सोचना पड़ेगा कि पैसा कहाँ रखूं। आज उसी बालक निषाद ने बड़े होकर अपनी मेहनत से वो हासिल कर लिया जिसकी उसने अपने माँ से बात की थी। माँ बताती हैं जब पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले के लिए दुबई जाना था तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अढ़ाई लाख रूपए उधार लिए थे। क़र्ज़ लेकर निषाद को दुबई भेजा था। 

एक आम आदमी किसी हादसे के कारण टूट जाता है उसके हौंसले पस्त हो जाते हैं लेकिन इस हादसे के लिए  निषाद ने अपनी किस्मत को नहीं कोसा बल्कि इस दुर्घटना को एक अवसर के तौर पर देखा और अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की। इस दुर्घटना के बाद निषाद ने एक कस्बे की पाठशाला से अपने खेल को शुरू किया और बाहरवीं के बाद कमजोर आर्थिक हालात के बावजूद उच्च प्रशिक्षण के लिए पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम पहुँच गए। वहां नसीम अहमद ने उनके हुनर को पहचाना और इस हुनर तराशा। परिवार में आर्थिक हालत ठीक न थे, पिता ने खेतों में उगाकर सब्जियाँ बेचीं, माँ ने गाय का दूध बेचा और निषाद कुमार ने भी कभी उन्हें निराश नहीं किया, हमेशा माता पिता और लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे।    





निषाद की माँ ने बताया कि कई राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय मुकाबलों में निषाद ने मैडल जीते हैं ,एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतने के बावजूद प्रदेश सरकार के तरफ से न तो कोई पुरस्कार मिला न ही इस खिलाड़ी की उपलब्धियों के अनुरूप इसे कोई नौकरी मिली। निषाद की बहिन रमा देवी ने बताया कि भाई निरंतर अभ्यास में व्यस्तता कारण साल में कभी कभी ही घर आ पाता है। निषाद ने पैरालम्पिक में दो बार रजत पदक जीता है इससे पहले टोक्यो पैरालम्पिक में भी उन्होंने रजत पदक जीता था। टोक्यो में मैडल जीतने के बाद निषाद पर इनामों बरसात ने आज इस गरीब परिवार को करोड़पति बना दिया है। www.lookhimachal.com  निषाद को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है।

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