आचार्य चाणक्य आज से हज़ारों साल पहले हुए। गुप्त साम्राज्य की नींव रखने में उनकी काफी भूमिका थी। नन्दवंश को समाप्त करके चंद्र गुप्त मौर्या को राजा बनाया और आगे चल कर गुप्त साम्राज्य ने ही भारत वर्ष के कई हिस्सों पर राज किया। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे तक्षशिला विश्व विद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक शास्त्र और कृषि शास्त्र से सम्बंधित कई महान ग्रन्थ लिखे, जिनका अनुसरण करके आज भी उनके अनुयायी इनका लाभ लेते हैं। हज़ारो साल पहले कही गयीं उनकी नीतियां आज भी अनुसरणीय हैं।
आप भी आचार्य चाणक्य की नीतियों पर अमल करके जीवन को खुशहाली और सुख शांति से भर सकते हैं। आचार्य का नीतिज्ञान कठोर अवश्य है लेकिन आमजन के लिए फायदेमंद है।
आज के इस लेख में, आचार्य चाणक्य कहते हैं :
" हारे की सलाह ,जीते का अनुभव और खुद का दिमाग व्यक्ति को कभी हारने नहीं देते "
इसका अर्थ हुआ कि मनुष्य को अपने जीवन में इन 3 बातों का अनुसरण करना चाहिए। जीवन में कई बार कठिन परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है, ऐसे समय में व्यक्ति को कुछ सूझता नहीं कि वो क्या करे, क्या न करे। ऐसी परिस्थितियों में आचार्य ने इन 3 चीज़ो को ध्यान में रखने की सलाह दी है।
1 . आचार्य ने हरे हुए व्यक्ति से सलाह मश्विरा करने की सलाह दी है क्योंकि हारा हुआ व्यक्ति जानता है कि वो किस कारण से हारा, क्या स्थिति थी कि वो हार गया ,उस स्थिति में वही बात फिर से न दोहराई जाये , इसलिए उस हारे हुए व्यक्ति की सलाह काफी उपयोगी हो सकती है। उदाहरण के लिए कोई अपने व्यवसाय में सफल नहीं हुआ तो उसकी असफलता का कारण जान कर आप उस असफलता की स्थिति से बच सकते है। वो आपको सामने आई दिक्क्तों में बारे में बता सकता है। ये भी आपके लिए रोचक हो सकता है :
2. जीते हुए का अनुभव लेना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है, जीता हुआ व्यक्ति ही बता सकता है कि किसी गंभीर परिस्थिति से कैसे निपटा जा सकता है। यदि कोई दिक्कत सामने हो तो कैसे उसे दूर किया जा सकता है। चूँकि वह उन परिस्थितियों से निकल चूका है , उस रस्ते को पार चुका है, इसलिए उसे पता है कि रास्ते में क्या कठिनाइयां हो सकती है और कैसे उन्हें दूर करना है।
3. इन सब के आलावा आचार्य ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। "जग का सुनना,पर, करना अपने दिमाग की" अर्थात बात सबकी सुनो, सलाह सबकी मानों लेकिन इन सब के अलावा अपने दिमाग का भी इस्तेमाल करो। कई बार हम दूसरों की देखा देखी ऐसा काम कर लेते है जिसका हमे कोई अनुभव नहीं होता और हार जाते हैं , ऐसे वक़्त में अपने दिमाग का इस्तेमाल पुरजोर से करना चाहिए ताकि नुकसान न हो। दिमाग लगाकर सोचें कि जिस काम का अनुभव नहीं है उसे करना कितना नुकसानदायक हो सकता है या सामने जो मुसीबते आयेगीं उनका मुकाबला कैसे करना है।
ये भी आपके लिए रोचक हो सकता है :
"यदि आचार्य चाणक्य की ये बातें ध्यान में तो व्यक्ति कभी हार नहीं सकता, बशर्ते हर काम सोच समझ कर किया जाये। "
0 टिप्पणियाँ