आचार्य चाणक्य आज से हज़ारों साल पहले हुए। गुप्त साम्राज्य की नींव रखने में उनकी काफी भूमिका थी। नन्दवंश को समाप्त करके चंद्र गुप्त मौर्या को राजा बनाया और आगे चल कर गुप्त साम्राज्य ने ही भारत वर्ष के कई हिस्सों पर राज किया। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वे तक्षशिला विश्व विद्यालय के आचार्य थे। उन्होंने अपने जीवन काल में राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, सामाजिक शास्त्र और कृषि शास्त्र से सम्बंधित कई महान ग्रन्थ लिखे, जिनका अनुसरण करके आज भी उनके अनुयायी इनका लाभ लेते हैं। हज़ारो साल पहले कही गयीं उनकी नीतियां आज भी अनुसरणीय हैं।
आचार्य अपने समय से काफी आगे चलते थे। उनका मानना था कि लौकिक सुख पाने के लिए पैसा बहुत जरूरी है। धन का महत्व समझाते हुए कहते हैं की कुछ लोग अपनी कुछ आदतों के कारण धन से वंचित रह जाते हैं और अपना जीवन गरीबी या सीमा के भीतर ही गुजार देते हैं। इन लोगों के पास बेशक धन आता भी हो लेकिन ज्यादा देर के लिए इनके पास टिकता नहीं।
मैले कुचले लोग :
आचार्य कहते हैं कि शारीरिक रूप से गंदे व् मैले कुचले रहने वाले लोग कभी माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं कर सकते। माँ लक्ष्य ऐसे लोगो से दूर ही रहती हैं। इनके पास लक्ष्मी का वास नहीं होता। लक्ष्मी हमेशा साफ़ स्वच्छ स्थान व् व्यक्ति के पास ही रहना पसंद करती हैं। जितना हो सके अपना शरीर , कपड़े , आस पास का स्थान , घर दुकान में सफाई रखें।
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आलसी लोग :
चाणक्य के अनुसार जो लोग आलसी होते हैं , कामचोर होते हैं ,किसी काम को करने में कई टाल मटोल करते हैं उन लोगों के यहाँ लक्ष्मी माँ कभी आतीं ही नहीं , इन लोगों के पास कभी पैसा नहीं आता। जो लोग सुबह देर तक सोते हैं वो उनके यहाँ कभी माँ लक्ष्मी का वास होता। कहते भी तो हैं " जो सोवत है वो खोवत है , जो जागत है वो पावत है "। वास्तव में ऐसे लोगों को ही दरिद्र कहा जाता है। इनके पास हमेशा दरिद्रता का ही वास होता है।
कड़वे शब्द बोलने वाले :
आचार्य चाणक्य बतातें हैं कि दूसरे से कड़वी बाते करने वाले , क्रोधपूर्वक वचन बोलने वाले व्यक्ति के पास बेशक लक्ष्मी माँ आ भी जाएँ लेकिन ऐसे व्यक्ति के पास पैसा टिकता नहीं और आते ही चला जाता है। कठोर शब्द बोलने वालो के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं रखना चाहता , जब तक समाज में दूसरे लोगों के साथ वैमनस्य हो तब तक पैसा आना मुश्किल होता है। अतः सबके साथ मधुरता से ही बातचीत करनी चाहिए तभी माता लक्ष्मी की कृपा होती है।
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अधिक खाने वाले :
अपने शास्त्र में आचार्य वर्णन करते हैं कि जो लोग आवश्यकता से अधिक अन्न ग्रहण करते हैं वो हमेशा दरिद्र या आलसी बने रहते हैं। अतिरिक्त अन्न का उपभोग दरिद्रता की ओर ले जाता है। जरूरत से ज्यादा भोजन करना रोगों को तो बुलाता ही है साथ में माँ लक्ष्मी को नाराज़ भी करता है।
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