जटोली शिव मन्दिर: जटाधारी शिव ने की थी यहाँ तपस्या, ये है एशिया का सबसे ऊँचा मन्दिर

हिमालय में बसे हिमाचल में वैसे तो हज़ारों ऐतिहासिक मन्दिर हैं जिनका काफी पुराना इतिहास है और इन सभी मन्दिरों का काफी महत्व है। हिमाचल को इसीलिए देवभूमि का दर्ज़ा प्राप्त है। यहाँ शिव जी के बहुत से मन्दिर हैं जिनके प्रति लोगों के मन में गहरी आस्था है। ऐसा ही एक मन्दिर है जटोली शिव मन्दिर।  





शिव जटोली मन्दिर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला में है जहाँ लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। सोलन शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर यहाँ मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर के निर्माण के लिए चार दशकों यानि लगभग 40 साल का समय लगा था। दक्षिणी भारत की प्रख्यात द्रविड़ शैली में बना यहाँ मन्दिर भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे ऊँचा शिव मन्दिर है। 




मन्दिर के बारे में माना जाता है कि पौराणिक समय में शिव ने कुछ समय यहाँ रहकर समय बिताया था। 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस यहाँ आये और इस स्थान की महिमा जानकर उन्होंने यहाँ 1974 में जटोली शिव मन्दिर की स्थापना की। उसके बाद से मन्दिर का निर्माण अभी भी चल रहा है। 1983 में स्वामी जी ने समाधी ले ली थी उसके बाद मन्दिर प्रबन्धक कमेटी ने निर्माण कार्य जारी रखा है।

यह मन्दिर एशिया का सबसे ऊँचा शिव मन्दिर है जिसकी ऊंचाई 111 फुट थी लेकिन मन्दिर के शिखर पर हाल ही में 11 फुट का स्वर्ण कलश लगाया गया जिससे मन्दिर की ऊंचाई अब 122 फुट हो गई है। मन्दिर परिसर में दाईं ओर भगवन शिव की प्रतिमा स्थापित है, कुछ ही दुरी पर शिवलिंग भी स्थापित है। मन्दिर के चारों ओर देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गयीं हैं और मन्दिर के अन्दर स्फटिक शिवलिंग की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा की गई है।  

                                                   



1983 में जब स्वामी कृष्णानद परमहंस जी ने समाधी ली तो उसके बाद मन्दिर कमिटी स्वामी जी के मार्ग दर्शन पर ही जनता द्वारा दिए दान से इस मन्दिर का निर्माण और रखरखाव कर रही है। मन्दिर के एक तरफ स्वामी जी की गुफा भी है जहाँ वे तपस्या करते थे। मान्यता है कि उस समय यहाँ के लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। तब स्वामी जी ने शिव की तपस्या की और त्रिशूल से प्रहार कर जमीन से पानी निकाला तब से ही यहाँ के लोगों पानी समस्या नहीं है। लोग इस पानी को चमत्कारी मानते हैं जिसमे कई रोगों को ठीक करने के गुण हैं। 




मन्दिर के पुजारी जी के अनुसार मन्दिर में जो शिवलिंग है वो स्फटिक शिवलिंग है जो दूसरे शिवलिंग से अलग है और दुनिया के कुछ ही मन्दिरों में पाया जाता है। स्फटिक शिवलिंग को निर्गुण ब्रह्म का रूप माना जाता है जिसकी पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इसलिए जटोली शिव का अलग ही महत्व है। 



पर्यटन की दृष्टि से भी जटोली शिव मन्दिर काफी ख्याति प्राप्त कर रहा है। हर साल पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। देश और विदेश से लाखों पर्यटक मन्दिर में आकर दर्शन करते हैं और मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद भोले बाबा से मांगते हैं। 

 


अगर आप यहाँ आना चाहें तो सारा साल कभी भी आ सकते हैं, सोलन आकर राजगढ़, सिरमौर सड़क पर सोलन से 7 किलोमीटर आगे यह प्रसिद्ध जटोली शिव मन्दिर स्थित है,  आप यहाँ किसी भी वाहन से आ सकते हैं , सारा साल यहाँ पर मौसम मनोरम होता है, यह मन्दिर खूबसूरत वादियों में स्थित हैं जहाँ से सुन्दर मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं।  


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