सभी पाठकों का एक बार फिर से स्वागत है एक नयी पोस्ट में, दोस्तों हमारा हिमाचल प्रदेश विविधताओं से भरा एक पहाड़ी और खूबसूरत राज्य है जहाँ की भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति अन्य कई राज्यों से बिलकुल अलग है। यहाँ के पारम्परिक परिधान व् खाद्य व्यंजन सबसे अलग हैं। अपनी कई पोस्ट्स में हमने ऐसी कई चीजों से आपको रूबरू करवाया है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को भी लुभातीं हैं और हम पहाड़ी लोगों को भी। ऐसा ही एक लजीज़ व्यंजन है पत्रोड़े, जो बरसात के दिनों में बड़े ही शौक से खाया और खिलाया जाता है।
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बरसात के दिनों में अरबी की फसल तैयार होती है जिसकी जड़ों के सब्जी बनाई जाती है और पत्तों से पत्रोड़े। अरबी की सब्जी भले ही आपको पसन्द न हो लेकिन पत्तों के पत्रोड़े जरूर पसंद आएंगे। बाहर मौसम ठंडा हो और घर में बैठ कर गर्मागर्म पत्रोड़े सामने हों तो क्या बात है।
कई सब्जियां या फल ऐसी होतें हैं दोस्तों जो केवल गाँवों तक ही सीमित होतें हैं। जबकि शहरों में भी उनके कद्रदानों की कमी नहीं होती लेकिन शहरों में खेत नहीं होते तो ऐसी चीज़ें शहरों में काम ही मिलती हैं लेकिन पास के गाँवों के लोग इन चीज़ों को शहरी बाजार तक पहुंचा ही देते हैं। ऐसी ही चीज़ हैं अरबी के पत्ते।
अरबी के पत्ते |
पत्रोड़े को अरबी के पकोड़े भी कहा जा सकता है। आलू के पकोड़े बनाने के लिए बेसन का एक विशेष घोल तैयार किया जाता है और उसमे आलू प्याज आदि को मिलकर पकोड़े बनाये जाते हैं। पत्रोड़े के लिए भी वैसा ही घोल तैयार किया जाता है लेकिन उसमे ज्यादा किस्मों के मसाले पड़ते हैं ताकि ज्यादा स्वाद निखर कर आये। एक पत्ते के ऊपर इस घोल का लेप किया जाता है उसके ऊपर एक और पत्ता रख कर दोबारा से बेसन के घोल का लेप लगाया जाता है इस तरह से पत्तों का आकार देख कर तीन चार पत्ते रख सकते हैं। फिर इन पत्तों का एक रोल जैसा बना लिया जाता है इससे यह एक बण्डल जैसा आकार ले लेता है। अब पत्तों के इस बण्डल को उबलने के लिए प्रेशर कुकर में डाल दिया जाता है। 2 -3 सीटी आ जाने पर सलाई या चाकू की मदद से इसे चैक कर सकते हैं कि पूरा उबला है या नहीं जैसे आलू को चेक करते हैं।
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सही से उबल जाने पर इस बण्डल को गोल गोल छोटे डुकड़ों में काट लिया जाता है और फिर सरसों तेल में तला जाता है। घी या रिफाइन्ड तेल से वह स्वाद नहीं आता जो सरसों के तेल से आता है। अच्छी तरह से तल जाये तो इसका रंग थोड़ा बदल जाता है। अब इसे चटनी या बिना चटनी के भी खाया जा सकता है। उबाल कर फ्रीज में रखा जाये तो अगले 3 -4 दिन तक ये ख़राब नहीं होता। पत्रोड़े को कढ़ी में डाल कर सब्ज़ी के तौर पर भी खा सकते हैं।
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