Kafal Tree |
गर्मियों के मौसम में, मई जून के महीने में मण्डी जिला के मध्यम ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों के लोग परिवार सहित, बांस की बनीं हुई टोकरियां उठाकर एक खास तरह के मौसमी फल की तलाश में जंगलों की तरफ निकल जाते हैं और शाम ढले टोकरियों में एक पहाड़ी फल भर कर लाते हैं, इस फल को काफल कहा जाता है जो हिमाचल के मण्डी जिला के मध्यम ऊंचाई वाले पहाड़ों के जंगलो में मिलता है। ज्यादातर मण्डी जिला के गोहर, मोवीसेरी के इलाको में यह फल पाया जाया है। यह फल लगभग एक महीने भर के लिए बाज़ारो में दिखाई देता है इसलिए सभी लोग बड़े ही चाव के साथ खाते हैं। यह फल तो पौष्टिक है ही साथ में इसके अंदर की छोटी से गुठली भी काफी गुणकारी होती है।
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बुरांस के फूल आने के समय ही काफल का फल भी तैयार होता है और सीमित समय के लिए ही बाजारों में उपलब्ध होता है इसलिए इसकी कीमतें हर साल बढ़ती ही जाती हैं आजकल 30 -35 रूपये में 100 ग्राम मिल रहा है, इसलिए काफल ग्रामीण लोगों के लिए आजीविका का एक छोटा सा लेकिन अच्छा साधन बन गया है। काफल के दानों में नमक डाल कर खाने से इसका मज़ा दोगुना हो जाता है। यह फल कुछ खट्टा और कुछ मीठा स्वाद देता है, काफल देखते ही मुँह में पानी आ जाता है। यह फल ताजा ही खाया जाता है 2 दिन के बाद यह सुखना शुरू हो जाता है। काफल की छोटी सी गुठली को फेंका नहीं जाता बल्कि निगल लिया जाता है। इसकी गुठली आसानी से हजम हो जाती है और पाचन तंत्र को मजबूत करती है।
काफल का पेड़ बुरांस के जंगलों में उगता है इनके साथ ही दूसरी कई जड़ी बूटियां इन जंगलो में होती है। काफल का पेड़ मध्यम आकार का लगभग 6 से 10 फ़ीट का होता है। काफल एक बहुत ही गुणकारी फल है जिसमे कई तरह औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें कैल्शियम, ज़िंक, पोटेशियम आदि कई तरह के खनिज पाए जाते है जो काफी लाभकारी होते हैं। आयुर्वेद के जानकारी रखने वालो के अनुसार काफल पेट की जलन,गर्मी और डायरिया के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसका रस मधुमेह को भी नियंत्रण में रखता है।
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