हिमाचल प्रदेश है ही कुछ ऐसा,जितनी बातें करो उतनी कम हैं, जितनी गहराई में जाओ उतना ही उतरते जाओगे। हिमालय की गोद में बसा है हिमाचल, शिव की भूमि है हिमाचल यहाँ के कण कण में शिव समाये हुए हैं। हिमाचल का कुछ भाग हिमालय में है, कुछ भाग शिवालिक में है। मगर शिव हर जगह हैं।
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नमस्कार दोस्तों ! बहुत दिनों बाद घर से निकलना हुआ। सोचा, आज कहीं दूर का सफर करेंगे। लेकिन शायद उसे कुछ और ही मंजूर था, और हम पहुँच गए अपने शहर मण्डी से करीब 35 किलोमीटर दूर सुन्दरनगर में कुलेश्वर महादेव की पहाड़ियों में। यहाँ पहाड़ियों के गर्भ में कुदरत की बनाईं छोटी छोटी 2 गुफाएं हैं। सबसे पहले केरन नाम के एक सुन्दर गाँव में पहुंचे। जहाँ कुल मिला कर शायद 35 मकान होंगे, लेकिन शहरों के शोर शराबे से दूर, एक अजीब सी शांति में। गाँव के बीचों बीच एक सुन्दर तालाब है, जहाँ शायद किसी समय में कमल की फूल खिलते थे। रंग बिरंगी मछलियां तैरती थीं। लेकिन अब उपेक्षा का शिकार है।
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केरन गाँव Photo: by the Author |
पूछने पर लोगों ने बताया, हमारा सफर अभी लगभग 3 -4 किलोमीटर बाकि है। मोटरसाइकिल को वहीँ पर पार्क कर निकल पड़े पैदल सफर पर। करीब 45 मिनट का सफर काफी रोमांचक होने वाला था। गाँव की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियां, खेतो में लहलहाती गेंहू की फसलें, एक अलग सा एहसास था। लक्ष्य अभी काफी दूर था। एक ही पहाड़ी को पार करना था। लेकिन पहाड़ी क्या, पहाड़ के समान थी। 10 मिनट के बाद ही सांस फूलने लगी थी। टाँगे रुकने का आग्रह करने लगी थीं। पहाड़ी के शीर्ष पर कुछ देर तक रुकने का मौका मिला। ठंडी हवाओं ने सारी थकान दूर कर दी। कुछ दृश्य ऐसे देखने को मिले, कि आँखों को सुकून और दिमाग को खुराक मिल गई।
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दोनों गुफाएं मंदिर के एक कमरे में ही हैं , मतलब उनके द्धार मंदिर कक्ष में ही हैं। मन्दिर के अंदर 2 कमरे हैं ,एक में नाथ सम्प्रदाय के एक साधु जिन्होंने यहाँ तप किया था, उनकी मूर्ति और दूसरे में शिव का धुना है। साथ में ही दोनों गुफाओं के मुख्य द्धार हैं। देर किये बिना हमने गुफा के अंदर जाने का निश्चय किया और शिव का नाम लेकर कदम बढ़ाए। गुफा के बाहर ही प्राकृतिक रूप से निर्मित एक शिवलिंग है। गुफाओं में जाने का अनुभव पहले से ही था तो तीव्रता के साथ अन्दर तक गए। गुफा वाकई में काफी सुन्दर है, प्रकृति का नज़ारा जमीन के नीचे भी देखने को मिला। ये गुफाएं आगे की तरफ न होकर नीचे की तरफ हैं, गहराई में हैं। बेशक, अभी तक हम जिन गुफाओ में गए हैं, ये गुफाएँ उनसे छोटी हैं, लेकिन बाकि गुफाओं की तरह ही यहाँ पर भी वैसी ही आकृतियां देखने को मिलीं। इन गुफाओं में भी शिवलिंग हैं, अलग अलग तरह की कलाकृतियां पत्थरोँ बनी हुई हैं।
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