Betal Gufa Photo: By the Author |
GI Tag में शामिल हिमाचल प्रदेश की विश्वविख्यात पहचान
आज की इस पोस्ट में हम आपको बेताल देव की एक गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं। यह एक रहस्यमयी गुफा है जिसकी दीवारों से देसी घी टपकता था, एक ऐसी गुफा, जिसके दो छोर हैं और बीच में से खूबसूरत नदी बहती है। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी के सुंदरनगर उपमंडल में मौजूद बेताल गुफा की। यह गुफा भी अभी इतनी प्रसिद्ध नहीं है क्योंकि बहुत ही कम लोगों को इस गुफा के बारे में जानकारी है। काफी पूछताछ करने के बाद हम इस गुफा तक पहुँच पाए, हालाँकि सुंदरनगर में प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर से थोड़ा दूरी पर यह गुफा है फिर भी कम लोगों को इस गुफा के बारे में जानकारी है इस बात की हैरानी होती है।
सुंदरनगर में बनी नहर को कण्ट्रोल गेट से पार कर शीतला माता मन्दिर वाले चौक पर दो रास्ते हैं जिनमे से एक शीतला मंदिर और एक इस गुफा की ओर जाता है। गुफा वाले रास्ते में जल विभाग का कार्यालय भी है जहाँ से 100 -200 मीटर की दूरी पर यह बेताल गुफा स्थित है। इस गाँव का नाम कलोहड है। यह गुफा रिहायशी इलाके में स्थित है। गाँव के लोग यहाँ इस अँधेरी गुफा में बेताल देवता की पूजा अर्चना करते हैं।
गुफाएं कुलेश्वर महादेव की - सुन्दरनगर, हिमाचल प्रदेश
Way to Betal Gufa Photo: By the Author |
गाँव की सड़क के साथ ही इस गुफा के लिए रास्ता है। गाड़ी सड़क पर ही पार्क की जा सकती है। यह गाँव काफी सुन्दर और शांत है। यह गुफा जिस स्थान पर है वहां चारो तरफ जंगल है, गुफा के आस पास काफी सन्नाटा रहता है शायद इसीलिए गुफा के मुख्य छोर पर चमगादड़ों ने डेरा बसा लिया है जो यहाँ हज़ारों की तादाद में हैं। हमे यहाँ स्थानीय लोग मिल गए जिन्होंने हम इस सुन्दर बेताल गुफा के बारे में बताया। यह गुफा तक़रीबन 100 कदम लम्बी है लेकिन काफी ज्यादा चौड़ी भी है। अंदर घुप्प अँधेरा है लेकिन गाँव के लोगों ने यहाँ बिजली की व्यवस्था कर रखी है। यहाँ गुफा के दो छोर हैं। दूसरे छोर पर एक तरफ बेताल देव की प्राचीन काल की पाषाण प्रतिमाएं हैं। गुफा के बीचोंबीच एक सूंदर नदी बहती है जिसकी आवाज़ से काफी मधुर स्वर उत्पन्न होते हैं। एक छोर से नदी का पानी अन्दर आता है और दूसरे छोर से बाहर निकल जाता है। बाद में आगे जाकर यह नदी सुंदरनगर की प्राचीन सुकेत नदी में मिल जाती है।
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इस गुफा के बारे में एक कहानी प्रचलित है दोस्तों, जिसके अनुसार यहाँ काफी समय पहले कई तरह के चमत्कार हुआ करते थे। उस समय भी गाँव के लोग यहाँ बेताल देवता की पूजा अर्चना करते थे। उस समय इस गुफा की दीवारों से देसी घी टपकता था जिसे यहाँ के लोग अपने बर्तनो में भर कर घर ले जाते थे। गाँव में जब किसी के घर में कोई विवाह शादी या अन्य कार्यक्रम होता तो वो यहाँ बेताल देव से प्रार्थना करते थे और अगली ही सुबह उन्हें गुफा के बाहर बर्तन वगैरह रखे हुए मिल जाते थे जिन्हे इस्तेमाल करने के बाद लोग देवता को वापस लौटा देते थे। इस तरह बेताल लोगों की काफी सहायता किया करते थे। एक बार एक गड़रिया अपनी भेड़ बकरियों सहित इस गुफा में रात बिताने के लिए रुका , रात को खाना खाने के लिए उसने अपनी रोटी पर दीवार से टपकता हुआ घी लगा कर खाने लगा लेकिन वह बार बार अपनी जूठी रोटी दीवार पर लगा कर घी ले रहा था जिससे देवता नाराज़ हो गए और दीवारों से घी टपकना बंद हो गया।
इस गुफा से आज भी कभी कभी अजीब से आवाजें आती हैं लेकिन कभी किसी का कुछ बुरा नहीं हुआ। लोग यहाँ बेताल देवता की पूजा अर्चना करते है। गुफा की दीवारों पर कई तरह की आकृतिया बनी हुई हैं जो इस गुफा को और भी सुन्दर बनाती हैं।
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