Main Entrance of Cave |
हिमालय का सारा भूभाग प्राकृतिक खूबसूरती से लबालब है दोस्तों, लेकिन यही हिमालय अपने आप में कई रहस्यों और हैरान कर देने वाली चीज़ो से भरा हुआ है, जिन्हे देख कर हर कोई दांतो तले उंगलिया दबा लेता है।कई चीज़ें तो ऐसी होती हैं जिन पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। इस लेख में हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, दोस्तों जिसे अपनी आँखों से देख कर भी कुछ पलों के लिए के लिए विश्वास नहीं होता। लेख का शीर्षक पढ़ कर ही आपने अन्दाजा लगा लिया होगा, दोस्तों हम बात कर रहे हैं निम्न हिमालय के ऊँचे ऊँचे पहाड़ो के गर्भ में समाई हुई एक विशाल और दुर्लभ गुफा के बारे में, जिस के बारे कहा जाता है कि यह गुफा लाखों साल पुरानी है, लेकिन इस गुफा की खोज लगभग 35-40 साल पहले ही हुई है।
हिमाचल प्रदेश के 12 जिले हैं दोस्तो जिनमे से एक है जिला मण्डी। जिला मण्डी का काफी क्षेत्र निम्न हिमालय के अन्तर्गत आता है। जिला मण्डी का एक उपमंडल है सुन्दर नगर। सुंदरनगर के सलापड़ नामक एक कसबे में एक गाँव धारली है, ये विशाल और दुर्लभ गुफा इसी धारली गांव में स्थित है। यह स्थान मण्डी मुख्यालय से लगभग 55 किलोंमीटर दूरी पर है, वाहन द्वारा गुफा के मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है। सलापड़, जहाँ व्यास और सतलुज नदी के पानी से बिजली का उत्पादन किया जाता है, से लेफ्ट साइड से एक Link Road है जो B.B.M.B. Colony का रास्ता भी है,उसी सड़क से धारली गाँव तक पहुंचा जा सकता है। गुफा तक का सफर भी काफी रोमांचकारी है दोस्तों। ऊँची ऊँची पहाड़ियां, गहरी खाईयां, हरियाली से भरे खेत खलिहान और रास्ते में दिखाई देने वाले जंगली जानवर यहाँ देखने को मिलते हैं। यह सड़क काफी संकरी है, यह सड़क Single Lane है और खतरों से भी भरी है क्योंकि यह कच्ची सड़क पहाड़ों को काट काटकर बनाई गई है और काफी सारे अन्धे मोड़ हैं, नीचे की तरफ गहरी खाईयाँ है, बस जरा से गलती हुई नहीं और सफर, वहीं खतम।
धारली गाँव की ऊँची पहाड़ियाँ |
सड़क के साथ ही मन्दिर की सीढियाँ हैं। यहाँ मन्दिर कमेटी का भी गठन किया गया है जो यहाँ बहुत से विकास कार्य करवा रही है। यहाँ पहुँचने पर पहली नज़र में तो लगता ही नहीं कि यहाँ पर कोई गुफा है क्योंकि मन्दिर की ईमारत पहाड़ी पर बनी हुई है, ऐसा लगता है जैसे हम पहाड़ी पर ही खड़े हों। यह शिवगुफा ईमारत की छत से थोड़ी से ऊपर है इसलिए कुछ सीढियाँ बनाई गई हैं। गुफा का मुख्य द्वार काफी बड़ा है, बड़े आराम से गुफा के अंदर प्रवेश किया जा सकता है जबकि अधिकतर गुफाओं के द्वार संकरे होते हैं जैसा कि गुटकर वाली शिवगुफा का है जहाँ लेट कर प्रवेश करना पड़ता है, गुटकर वाली गुफा का लेख पढ़ने के लिए नीचे Link पर Click करें :-
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जिला मण्डी में मण्डी शहर से 7 -8 किलोमीटर दूर गुटकर में भी एक शिव गुफा है जिसे भूलोक के सभी शिवलिंगों से अलग माना जा सकता है क्योंकि यहाँ शिव गुफा आमतौर पर देखे जाने वाले शिवलिंगों से बिलकुल अलग है। गुफा काफी संकरी है जहा केवल लेट कर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
धारली गाँव की यह शिव गुफा अंदर से भी काफी बड़ी है जिसे देख कर भी विश्वास नहीं होता। यह वास्तव में कुदरत का करिश्मा है। वीरान पहाड़ों के गर्भ में समाई हुई इस गुफा के अन्दर एक विशाल कमरा है जिसमे 100 -200 लोग आराम से खडे हो सकते हैं। इसी विशाल कमरे में मौजूद है भगवान् शिव की विशाल शिवलिंग। शिवलिंग के साथ ही शिव परिवार के अन्य सदस्यगण भी पाषाण से बनी विभिन्न आकृतियों में हैं। शिवलिंग और शिवपरिवार के ठीक ऊपर यानि गुफा के छत पर लटकती हुई सफ़ेद शिलायें हैं, जिन से कभी निरन्तर शिवलिंग और शिवपरिवार पर पानी टपकता रहता था। यहाँ रहने वाले बाबा जी और यहाँ के निवासियों के अनुसार यह माँ गंगा ही हैं। बाबा जी यूँ तो मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन कई सालो से हिमालय भ्रमण पर हैं, और फिलहाल यहाँ ही रह रहे हैं, शिव की पूजा बाबा जी ही कर रहे हैं।
गुफा की छत पर और दीवारों पर पत्थरों की कई तरह की आकृतियां बनी हुई हैं, जिनमे शिव के गण , भगवन गणेश, भगवान् कार्तिक, नंदी की भी आकृतियां हैं। वास्तव में दोस्तों बहुत ही खूबसूरत है यह शिवगुफा, साथ में ही कई रहस्यों से भरी हुई है। इस गुफा में 4 द्वार है जिनमे से 2 मुख्य द्वार हैं बाकि ऊपर छत पर हैं जिनमे से आकाश दिखाई देता है , हालाँकि छत वाले द्धार छोटे हैं। अंदर से यह गुफा भी अन्य गुफाओ की भान्ति काफी अँधेरी है, लेकिन यहाँ बिजली का पर्याप्त प्रावधान है और अंदर बिजली के बल्ब लगाए गए हैं, जिस से यहाँ चलने फिरने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है।
हालाँकि यह गुफा सदियों पुरानी है और इसके बारे में 35 -40 साल पहले ही जानकारी मिल गई थी लेकिन यह गुफा कुछ ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोगो को इस गुफा की जानकारी नहीं है, धारली गाँव की आबादी भी कुछ ज्यादा नहीं 700 -800 के करीब ही यहाँ की आबादी है , बाजार के नाम पर 2 या 3 दुकाने हैं। यहाँ के लोगो का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी है। गाँव भी ज्यादा लोगो की जानकारी में नहीं है इसलिए कम ही लोगों का यहाँ आना जाना है। लेकिन इस गुफा के यहाँ होने से धीरे धीरे यह गाँव भी लोगों के जानकारी में आना शुरू हो चुका है। कुछ समय बाद यह गाँव और गुफा काफी प्रसिद्ध हो जाएंगे क्योंकि अब यहाँ तक सड़क भी निकल चुकी है और अन्य कई विकासात्मक कार्य यहाँ हो रहे हैं। यहाँ की खूबसूरती को देख कर लगता है, कुछ ही समय में यह स्थान काफी विख्यात होगा। आपको यह जगह पसंद आई हो तो परिवार सहित यहाँ आएं और शिव के दर्शन अवश्य करें। जय भोले नाथ..
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