Look of Himachal Pradesh हिमाचल प्रदेश, भारत का 18वां राज्य

Look of Himachal Pradesh


भारत की उत्तर दिशा में हिमालय के गोद में बर्फ की सफेद चादर से लिपटा हुआ, प्राकृतिक खूबसूरत से सराबोर देव स्थान, हिमाचल प्रदेश

अपने घने जंगल, गहरी घाटियों, हरी भरी पहाड़ियों, तेजी से बहती हुई गहरी नदियों, दर्रों लिए विश्वविख्यात प्रदेश। जिसे ये नाम पं. दिवाकर दत्त शर्मा ने दिया जो हिमाचल में संस्कृत के महाविद्वान थे। संपूर्ण भारत के समान 1815 से 15 अगस्त 1947 तक हिमाचल का सारा भू भाग अंग्रजों (ब्रिटिश) के अधीन रहा। 15 अगस्त 1947 तक हिमाचल प्रदेश कुल मिलाकर 31 छोटी बड़ी रियासतो में बंटा हुआ था। 15 अप्रैल 1948 को पहाड़ी रियासतों  को मिला कर इसे हिमाचल नाम मिला। हिमाचल के बनने के बाद श्री ए.एन. मेहता को प्रदेश का पहला चीफ कमिश्नर बनाया गया। 1952 में हिमाचल प्रदेश में पहली बार आम चुनाव हुए। जिसके बाद 24 मार्च 1952 को डॉ. यशवंत सिंह परमार, हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री बने। 1 नवंबर 1956 को हिमाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज़ा मिला। 31 जुलाई 1970 को श्रीमती इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की। 18 दिसंबर 1970 को संसद सभा में हिमाचल प्रदेश अधिनियम पारित हुआ और 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश भारत का 18वां राज्य बन कर देश के नक्शे पर आया। हिमाचल प्रदेश भारत की उत्तर दिशा में है जिसके उत्तर दिशा में जम्मू और कश्मीर, पश्चिम में पंजाब। दक्षिण पश्चिम में हरियाणा और दक्षिण पूर्व में उत्तराखंड राज्य है जबकि पूर्व में भारत-तिब्बत सीमा है। हिमाचल प्रदेश के कुल 12 जिले शिमला, कुल्लू, मंडी, ऊना, सिरमौर, लाहुल और स्पीति, किन्नौर, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन चंबा, कांगड़ा हैं। शिमला हिमाचल की राजधानी है, शिमला को पहाड़ों की रानी भी कहा है क्योंकि बर्फ से ढके हुए यहां के पहाड़ देश विदेश के हज़ारों लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाते हैं। हिमाचल प्रदेश की ऊंचाई 450 मीटर से 6500 मीटर है। क्षेत्र और जलवायु के लिहाज़ से हिमाचल प्रदेश को 3 हिस्सो में बांटा गया  है: 1. बाहरी हिमालय 2. भीतरी हिमालय 3. वृहत हिमालय।

हिमाचल प्रदेश हिमालय की पश्चिम दिशा में है। इसका कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है जिसमे से अधिक पहाड़ी भूमि है, जिसमें 64% भूमि वन भूमि है, हिमाचल प्रदेश का अधिकतर भू भाग घाटियों में फैला हुआ है जो इसे अन्य मैदानी राज्यों से अलग बनाता है। 2011 की जन-गणना के मुताबिक हिमाचल की आबादी (जनसंख्या) 68,56,509 है, जिनमे से 34,73892 पुरुष और 33,82,613 महिलाएं हैं जो कि भारत की कुल आबादी का केवल 0.57% हिस्सा है। हिमाचल प्रदेश के लोग शांत स्वभाव के हैं, यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं। हिमाचल में सभी धर्मों के पवित्र धर्म स्थल हैं जोकि पुरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। हिमाचल का हर कस्बा या गांव सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है, पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हिमाचल में रेल यात्रा सीमित है। आर्थिक रूप से देखे तो हिमाचल प्रदेश भारत की सबसे तेजी से बढ़ती हुई तीसरी अर्थव्यवस्था (तीसरी अर्थव्यवस्था) है, प्रति व्यक्ति आय (प्रति व्यक्ति आय) के लिहाज से हिमाचल देश में चौथे नंबर पर हैं। केरल के बाद हिमाचल प्रदेश का नाम आता है जहां सबसे कम भ्रष्टाचार है। शिक्षा के क्षेत्र में भी हिमाचल प्रदेश केरल के बाद दूसरे स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पोलीथीन और तंबाकू  उत्पाद पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। हिमाचल प्रदेश के अधिकतर लोगों का पेशा खेती बाड़ी (खेती), बागबानी है। हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादन में भारत में सबसे आगे है। हिमाचल से पुरे देश में सेब का वितरण किया जाता है। हिमाचल प्रदेश सब्जी उत्पादन में भी अग्रणी  है। कृषि और बागबानी  प्रदेश की आमदनी का एक अच्छा स्रोत है। हिमाचल में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कृषि विस्तार के लिए भूमि सीमित है, यहां कृषि के लिए आधुनिक तकनीक (मॉडर्न टेक्नोलॉजी) पर जोर दिया जा रहा है। राज्य के 71% लोग कृषि से जुड़े हुए कार्यो से आमदनी कमा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की आमदनी का स्त्रोत (स्रोत) बिजली उत्पादन (बिजली उत्पादन) भी है। हिमाचल दुसरे राज्यों पंजाब, दिल्ली, राजस्थान को भी बिजली की बिक्री करता है। घुमना फिरना पसंद करने वाले (टूरिस्ट) लोगों  के लिए हिमाचल पहली पसंद है। पर्यटक यहाँ की खूबसूरत वादियों में आराम करने, राफ्टिंग, पहाड़ों की सैर का, पैराग्लाइडिंग, मत्स्य आखेट  (फिशिंग) का और खास तौर पर हिमपात का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं।


                                                   
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चाय के बागान ,पालमपुर जिला काँगड़ा 
                 


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वर्तमान हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक सफर सिंधु घाटी की सभ्यता से शुरू होता है जो 1750-2250 ईसा पूर्व के दौरान पृथ्वी पर निवास करती थी। उस  समय कबाइली लोग (जनजाति) इस क्षेत्र में निवास करते थे।लोगों की बहुत सी जातियां  खस, किरात, कोली, हाली, डागी, दास, किन्नर, नाग, डूम थीं  जिन में से कुछ को आज भी उन ही नामों से जाना जाता है। ये लोग यहां छोटे छोटे कबीले बना कर रहते थे। वैदिक काल के दौरान ये क्षेत्र "गुप्त साम्राज्य" ने आक्रमण कर के जीत लिए, इसके बाद कई आक्रमणकारी आए जिन्होने कई बार इस क्षेत्र पर हमले किये। महमूद गजनवी ने 1009 में, 1337 में मुहम्मद तुगलक ने, तैमूर लंग ने 1399 में, 1809 में गोरखा आदि नाम एतिहास में दर्ज हैं। मुगल सल्तनत ने काफी सैलून तक इस क्षेत्र में राज किया। मुगल वंश के बाद अंग्रेज (ब्रिटिश) यहां आए तब तक ये क्षेत्र छोटी बड़ी रियासतों में विभाजित हो चूका था, अंग्रेजी के शासन काल में यहां बहुत से भवनों, पुल सड़कों का निर्माण हुआ, जो आज भी सब को आकर्षित करती हैं।


                                                   

उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों की फेहरिस्त में हिमाचल का भी नाम आता है। माता चिंतपूर्णी, मां ज्वाला जी, रेणुका, चामुंडा, भीमा काली, त्रिलोकी नाथ, चौरासी मंदिर आदि अनेक मंदिरों के दर्शन करने के लिए हज़ारों लाखों लोग हर साल देश विदेश से यहां आते हैं।मन्दिरों से जुडी धार्मिक आस्था के चलते यहां साल भर अलग अलग स्थान पर मेले लगते हैं जिन में से कुछ राज्य स्तर के, कुछ राष्ट्रीय स्तर के और कुछ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं, जिन में देश के हर राज्य से व्यापारी लोग करोड़ों रुपयों का कारोबार करते हैं, हिमाचल के कुछ स्थानों पर पशु मेले भी लगते हैं जहां पालतू पशु बेचे और ख़रीदे जाते हैं। हिमाचल के कुल क्षेत्र  का 64% भाग वन भूमि है जिन में दुर्लभ प्रजातियों के पशु पक्षी पाए जाते हैं जिन में मोनाल, जुजुराना, बर्फानी चीता (हिम तेंदुआ), तिब्बती हिम कुक्कड़ (तिब्बती स्नो कॉक) याक आदि वन्य पशु मुख्य हैं। हिमाचल प्रदेश में वन्य जीवों के लिए वन्यजीव विहार और अभ्यारण्य बनाये गए हैं जिन में कुल्लू में द ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान, पिन-घाटी राष्ट्रीय उद्यान, मंडी में बंदली वन्य जीव अभ्यारण्य, बिलासपुर में गोबिंद सागर वन्य जीव विहार, सिरमौर में रेणुका वन्य जीव विहार, किन्नौर में रक्षम चीतकुल वन्य जीव विहार विख्यात है। हिमाचल प्रदेश अपने पर्वत और पहाड़ों के लिए भी जाना जाता है। ये पर्वत (पहाड़) 350 मीटर से लेकर 6,500 मीटर तक की उंचाई के है जिन में किन्नर कैलाश, मणि महेश, श्री खंड, पीर पंजाल, गेफांग, सोलंग, शालुद दा पार, रिवो फर्ग्यूएल, शिंगुर आदि प्रमुख हैं। अधिकतर विदेशी सैलानी हिमाचल में पर्वतारोहण के लिए आते हैं।

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हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत पहाड़ियों में पैराग्लाइडिंग करने के लिए हर साल हज़ारों लोग आते हैं। हिमाचल की आबोहवा  पैराग्लाइडिंग के अनुकूल मानी जाती है। हिमाचल पैराग्लाइडिंग प्री वर्ल्ड कप की मेजबानी कर चूका है जिसमें देश और विदेश से लोग हिस्सा लेते हैं। पहली बार साल अक्टूबर 2015 में पैराग्लाइडिंग विश्व कप का आयोजन हुआ जिसमें 130 के करीब विदेशी पायलटों ने भाग लिया। भारत की मेजबानी में यह पहला पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप था।

कांगड़ा जिला के धर्मशाला में साल 2003 में निर्मित क्रिकेट स्टेडियम विश्व भर में प्रसिद्ध है, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम (एचपीसीए) धर्मशाला में बहुत से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच हुए हैं जिनमे भारत, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज, आदि टीमें हिसा ले चुकी हैं, यहां पहला वनडे मैच भारत और इंग्लैंड के बीच जनवरी 2013 में खेला गया था, स्टेडियम में टी-20 मैच का भी आयोजन किया जा चुका है, हर साल इंडियन प्रीमियर लीग के भी मैच खेले जाते हैं। स्टेडियम में 23,000 लोगों के बैठने का प्रावधान है। स्टेडियम का आंतरिक और बाहरी नजारा दृष्टिबंधक है।

                                               
संस्कृति की दृष्टि से हिमाचल एक अनोखा राज्य है। हिमाचल की संस्कृति दूसरे कई राज्यों से अलग है। हिमाचल के अलग अलग जगहों में लगभग पूरा साल ही मेले लगते हैं जिन में से अधिकतर सैकड़ों साल पुराने हैं। भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि, भगवान रघुनाथ को समर्पित विश्व विख्यात कुल्लू का दशहरा, रामपुर का लवी मेला, भगवान परशुराम को समर्पित रेणुका जी, किनौर जिले में मनाये जाने वाला उखयद मेला, चंबा में रथ-रथानी मेला आदि मेले हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहरे हैं। यहां के लोग स्थानीय भाषा के साथ हिंदी भाषा का भी प्रयोग करते हैं। स्थानीय भाषा में किन्नौरी की बोली किनौरी, जिला कांगड़ा में कांगड़ी, मण्डी में मंडयाली, चंबा में चंब्याली, लाहुल में लाहुली, कुल्लू में पहाड़ी कुल्लूवी आदि पहाड़ी बोलिया (क्षेत्रीय भाषाएं) बोली जाती हैं जबकि हिंदी और अंग्रेजी भाषा अधिकरिक तौर पर प्रयोग की जाती है। हिमाचल प्रदेश अपने संगीत और  नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ी संगीत की धुन पर बॉलीवुड में भी कई गीत बने हैं। हिमाचल के कई गीत 100 साल से भी पुराने हैं जो आज भी लोकप्रिय हैं, "कुंजू- चंचलो", "मोर नी मारना  पिंजरे च पाणा ", धयाड़ा काटणा  नाला  पर सोइ सोई, रात काटणी सारी सारी रोई रोई", आदि उन्हीं में से हैं। कुल्लू की नाटी, मण्डी की लुड्डी, चंबा की चांब्याली नाटी के कार्यक्रम मेलों और अन्य तीज त्योहारों के दौरान, शादी-विवाह में आयोजित किए जाते हैं। हिमाचली लोग सरल साधारण किस्म के हैं। उंचाई और जनजाति क्षेत्र के लोग ऊन से बने कपड़े पहनते हैं। हिमाचल में बने हुए हैंडलूम के सामान, कालीन, ऊनी कपड़े, पहाड़ी टोपी, चाँदी से बने समान, पुलें (घास और भांग के रेशे  से बनी हुए जूते) पहाड़ी रुमाल, चित्रकला, लकडी के सजावटी सामान  के कद्रदान दुनिया भर में है। हिमाचल प्रदेश को प्राचीन वेद पुराणों में देव भूमि बताया गया है। यहां के लोग देवी देवताओ में बहुत विश्वास करते हैं। लकड़ी के बने ढांचे पर सोने और चांदी से बने सुन्दर मुखौटे लगाये जाते हैं जिसे देवता का रथ कहा जाता है, इसे सुंदर और कीमती चादरों से सजाया जाता है। मजबूत और दुर्लभ लकडी की  2 कडिय़ों की मदद से इन्हें  2 आदमी कांधो पर उठा कर चलते हैं जिनके सबसे आगे ढोल और नगाड़े की धुन पर नाचते गाते हुए लोग चलते हैं। अधिकतर देवी देवता प्राचीन काल के हैं, ये सभी देवी देवता बहुत शक्तिशाली होते हैं और समय समय पर अपनी शक्तियों का अपने पुजारी के माध्यम से प्रदर्शन भी करते हैं।

                                                 
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खानपान के मामले में, हिमाचली लोग बहुत शौकीन हैं। हर क्षेत्र का अपना अलग जायका है। ऊपरी हिमाचल के लोग अपने भोजन में चावल रोटी के साथ मांस को ज्यादा तवज्जो देते हैं, जबकि शेष हिमाचल में दाल और सब्जी अधिक पसंद की जाती है। स्थानिय व्यजंनों में मक्की की रोटी, पत्रोडू, मीठा भात, सिड्डू, बटुरु, कचौरी, रेहड़ू, पलड़ा, सत्तू, जलेबी, चिलडु, बाबरू, भल्ले, छो-छो। आदि मनपसंद हैं।    

हिमाचल में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं हिंदू, सिख, मुस्लिम, बोध, इसाई, जैन आदि। हिमाचल एक हिंदू बहुल राज्य है। यहां की 95% से ज्यादा आबादी हिंदू हैं, जबकी बाकी के 5% आबादी मुस्लिम, सिख, बोध, इसाई और जैन हैं। भारत के अन्य राज्यों से आए लोगों के अलावा नेपाल और तिब्बत के लोग भी काफी संख्या में हिमाचल में निवास कर रहे हैं। सभी लोगों के लिए यहां अच्छे रोजगार के साधन भी उपलब्ध हैं।    

हिमाचल में उद्योग भी काफी संख्या में लगाये जा रहे हैं। प्रदेश के सोलन, मण्डी, सिरमौर, कांगड़ा जिले में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं जिस से यहां काफी मात्रा में निवेश किया जा रहा है, इस से यहां रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।

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हिमाचल में शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी अच्छा है। जिला हमीरपुर साक्षरता के लिहाज से देश के शीर्ष जिलों में से एक है, प्रदेश के मण्डी  जिला में आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान), कांगड़ा में कृषि विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर में एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान), शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, मण्डी  जिला के सुंदरनगर तहसील में जवाहर लाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, धर्मशाला में केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि सरकारी शिक्षण संस्थान (शैक्षणिक संस्थान) के अलावा निजी संस्थान भी अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं।

हिमाचल में 17,000 के करीब शिक्षण संस्थान हैं। प्रदेश वासियो के अलावा बाहरी राज्यों से भी युवा हिमाचल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। नेपाल, भूटान, तिब्बत देशो से भी काफी संख्या में युवा और युवतियां हिमाचल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हिमाचल से शिक्षा प्राप्त कर काफी संख्या में लोग देश और विदेश में नाम और शोहरत कमा रहे हैं।

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बॉलीवुड में भी हिमाचली कलाकारों ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है, अनुपम खेर, प्रीति जिंटा, कंगना रनौत, द ग्रेट खली, मोहित चौहान, यामी गौतम, रुबीना दिलैक के अलावा काफी युवा बॉलीवुड में नाम कमा रहे हैं। खेलो में दीपक ठाकुर, द ग्रेट खली (दिलीप सिंह राणा), पारस डोगरा, ऋषि धवन, समरेश जंग, विजय कुमार, सुमन रावत आदि नाम काफी चर्चित हैं  आज हिमाचल प्रदेश में हर प्रकार की आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, प्रदेश में संचार के सभी माध्यम उपलब्ध हैं, बीएसएनएल, रिलायंस जिओ, टाटा, भारती एयरटेल, आइडिया,वोडाफोन आदि कंपनियां अपनी सेवाए जनता तक पहुंच रही हैं, उच्च गति (हाई) स्पीड) इंटरनेट का लोग लाभ उठा रहे हैं। दूरदर्शन के साथ-साथ देशी-विदेशी टीवी चैनलो का, केबल सिस्टम और डीटीएच दवारा उसके घर में प्रसारण हो रहा है। ऑल इंडिया रेडियो, एफएम, प्रादेशिक रेडियो द्वारा  भी जनता का मनोरंजन किया जा रहा है।


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