मैहणी माता मन्दिर |
हिमालय पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत आने वाला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, हर साल यहाँ आने वाले लाखो पर्यटकों की तादाद से इस बात का पता चल जाता है। देशी ही नहीं, विदेशी लोग भी यहाँ आकर यहीं के हो जाने की ख्वाहिश मन में रखते हैं। जो एक बार यहाँ की हसीन वादियों और खूबसूरत पहाड़ो की सैर कर ले, वो बार बार यहाँ आने के लिए बेताब रहता है , क्योंकि हिमाचल की आबो हवा सबको रास आती है। लगता है जैसे प्रकृति ने खुद अपने हाथो से इस स्थान का श्रृंगार किया है, बर्फ और हरियाली से भरे ऊँचे ऊँचे पहाड़ यहाँ सबका मन मोह लेते है। इस खूबसूरत राज्य को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यूं ही नहीं, हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता , इसके कई कारण हैं। हिमाचल की पवित्र भूमि में देवी देवताओ का वास है, यहाँ के पहाड़ो पर ऐसे ऐसे स्थान हैं, जहाँ लोगों का पहुँचना बहुत मुश्किल है, वैसी जगहों में ,प्राचीन समय में निर्मित देवी देवताओ के सैंकड़ों मन्दिर हैं, जो देवताओ की मौजूदगी का आभास दिलाते हैं, यहाँ देवी देवताओं के काष्ठ निर्मित रथ स्वयं मनमोहक नृत्य करते हैं।
मण्डी नामक स्थान, हिमाचल प्रदेश का जिला है, जहां के पहाड़ी क्षेत्रो में ऐसे कई मन्दिर हैं जिनका अपना अलग ही इतिहास है, ये मन्दिर सैंकड़ो साल पहले यहाँ के राजाओ ने देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा स्वरुप बनवाये थे, जो आज भी अपने गौरवमयी इतिहास का बख़ान करते हैं। हिमाचल के अधिकतर मन्दिर देवदार वृक्षों की लकड़ी से, पैगोडा शैली में बनाये गए हैं, देवदार वृक्ष नीचे से काफी ज्यादा फैले हुए होते हैं और ऊपर से कम आकार के होते हैं , हो सकता है देवदार के वृक्षों से पैगोडा शैली का विकास हुआ हो। माना जाता है कि देवदार का एक वृक्ष सौ साल का होने पर पूरी तरह से तैयार होता है , इसीलिए इसकी लकड़ी सैंकड़ो सालो तक ख़राब नहीं होती। यहाँ के मन्दिर सैंकड़ो साल पुराने होने के बावजूद आज भी विद्यमान हैं और हमें सैंकड़ो साल पुरानी कलाकृतियों से रूबरू करवा रहें हैं।
मण्डी शहर एक खूबसूरत शहर है, जिसे सैंकड़ो साल पहले राजा अजबर सेन द्वारा बसाया गया था, किसी समय में, मण्डी शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर शिवा बदार नामक पहाड़ी क्षेत्र में उन तत्कालीन राजाओ की राजधानी हुआ करती थी। तब वहाँ उन्होंने काफी मन्दिरो का निर्माण करवाया, जिनमे माता कांढी घटासनी का मन्दिर, ऋषि शुकदेव जी का मन्दिर, माता सोना सिहाँसन का मन्दिर और मैहणी माता के मन्दिर शामिल हैं।
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मैहणी माता का यह मन्दिर मण्डी जनपद से 10 -12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चंडीगढ़ मनाली नैशनल हाईवे 21 पर सफर कर के घ्राण नामक स्थान से एक लिंक रोड द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है। लिंक रोड पर कुछ सफर तय करने के बाद इस रोड से एक और लिंक रोड मिलता है, जहाँ से मैहणी मन्दिर तक 2 किलोमीटर का सफर है। मैहणी माता का यह प्राचीन मैहणीधार गाँव के अंतर्गत आता है। गाँव तक सड़क की सुविधा है। गाँव की मुख्या सड़क से मन्दिर तक का लगभग 10 मिनट का सफर है जो पैदल मार्ग से तय करना पड़ता है। बीच बीच में देवदार के नए जंगल हैं जो देखने में काफी सुन्दर हैं। वन विभाग द्वारा नए पेड़ यहाँ भी लगाए जा रहे हैं। मैहणी माता का यह मन्दिर सैंकड़ो साल पुराना है जिसे देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मन्दिर का निर्माण पहाड़ी पेगोडा शैली में किया गया है। मन्दिर की बाहरी और भीतरी दीवारें लकड़ी से ही निर्मित हैं, जिन पर सुन्दर कलाकृतियां उकेरी गयीं हैं। चार मंजिला इस मन्दिर के मध्य में गर्भगृह का निर्माण किया गया है ,इसमें देवी माँ की सुन्दर मूर्ति स्थापित है। दोनों द्वारों की चौखटों पर नाग युगल बनाये गए हैं। हिमाचल के मन्दिरों में बनाई गयीं ऐसी सुन्दर कला कृतियों को देख कर हर कोई हैरान रह जाता है। यह सब कलाकृतियां पहाड़ी कलाकारों द्वारा पहाड़ी शैली में बनाई गयीं है।
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Kandhi Ghatasani Temple. |
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