Hurang Narayan Temple |
हिमाचल प्रदेश अपनी देव संस्कृति के लिए भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाये हुए है, जिससे रूबरू होने के लिए लाखों देसी और विदेशी लोग हर साल हिमाचल आते हैं और हिमाचल की देव संस्कृति को जानने में अपनी उत्सुकता दिखाते हैं। सदियों से यहाँ देवी देवताओं के आदेश का पालन किया जाता है, यहाँ के पहाड़ी इलाको के देवी देवताओं में गहरी आस्था रखने वालो की कोई कमी नहीं है। यहाँ हर साल मनाये जाने वाले त्यौहार और मेले मुख्य रूप से देवी देवताओ को समर्पित होते हैं। जिनमे हिस्सा लेने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। ऐसा ही एक त्यौहार है, काहिका उत्सव । काहिका उत्सव हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिला की चौहार घाटी के गाँव हुरंग में मनाया जाता है। यह उत्सव पिछली कितनी सदियों से मनाया जा रहा है, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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Dev Shri Hurang Narayan |
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वैसे तो यहाँ काहिका उत्सव हर साल मनाया जाता है, जिसमे केवल देव श्री हुरंग नारायण ही होते हैं, लेकिन यहाँ हर 4 साल के बाद 'बड़ा-काहिका' उत्सव भी मनाया जाता है,जिसमे देव श्री हुरंग नारायण के अलावा उनके अन्य सात भाई भी उत्सव् की शोभा बढ़ाते हैं। इस साल यानि 2018 में बड़ा काहिका उत्सव चार साल बाद यहाँ मनाया गया। चौहार घाटी प्राकृतिक रूप से अत्यन्त सुन्दर क्षेत्र है। चौहार घाटी का यह मनोरम क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 1100-1400 मीटर की ऊंचाई पर है। गाँव हुरंग मण्डी मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर है। ऊँचे- ऊँचे पहाड़ और गहरी घाटियां इस क्षेत्र को बेहद रोमांचक और खतरनाक रूप प्रदान करतीं हैं। यहाँ का अधिकतम क्षेत्र, वन क्षेत्र है जहाँ ऊँचे ऊँचे घने देवदार के दरख्त हैं। चौहार घाटी, शक्तिशाली और प्रभावशाली पहाड़ी देवता, श्री हुरंग नारायण का साम्राज्य माना जाता है। देव श्री हुरंग नारायण इस घाटी के राजा हैं। देव हुरंग नारायण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
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काहिका उत्सव के दौरान यहाँ दूर दूर से लोग मेले में देवता के दर्शन करने और मेले में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। काहिका मेले के दौरान देवता के पुजारी , जिन्हें स्थानीय भाषा में गुर कहा जाता है, देवता की शक्ति का बखूबी प्रदर्शन करते हैं , वे देवता का आवाह्न करते हुए , देव वाद्य यंत्रो की धुन पर नृत्य करते हैं। तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में हज़ारो साल पुरानी देव संस्कृति का निर्वहन किया जाता है काहिका उत्सव में जीवन और मृत्यु की चर्चा की जाती है। देवता के गुर ( पुजारी ) द्वारा जीवन मृत्यु से सम्बंधित कहानी सुनाई जाती है। पाप और पुण्य से सम्बंधित चर्चा होती है, वास्तव में काहिका उत्सव पाप ,पुण्य, जीवन और मृत्यु के चक्कर से छुटकारा पाने का रास्ता दिखाता है। जिन लोगो ने अपने जीवन में कुछ बुरा कर्म, पाप या किसी का अहित अथवा बुरा किया हो तो वे लोग काहिका उत्सव में अपने पाप कर्मो का प्रायश्चित करते हैं, इससे उन्हें उनके बुरे कर्मो छुटकारा मिल जाता है, अपने इस जन्म के पाप से मुक्त हो जाते हैं।
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