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श्री बाबा कोट
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भारत के उतर दिशा में बसा हुआ पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश अपनी अनूठी देव संस्कृति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश का हर जिला अपने गौरवमय इतिहास के लिए विख्यात है।
हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पहाड़ियों में बसे हुए जिला मण्डी में भी अनेको देवी देवताओं के प्राचीन मन्दिर हैं। मण्डी जिला को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ 81 ऐतिहासिक मन्दिर हैं, जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्व है। इन मन्दिरों का निर्माण रियासत काल के दौरान यहाँ के राजाओं और रानियों द्वारा करवाया गया था। जिला मण्डी के बहुत से मन्दिर, राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल किये जा चुके हैं, जिन्हें देखने के लिए देसी और विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं।
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मण्डी शहर के बीचोबीच स्थित है मण्डी रियासत के राजाओं का राजमहल। राजशाही ख़त्म होने के बाद इस राजमहल को होटल का रूप दे दिया गया, जिसे अब होटल राजमहल के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है। इस ऐतिहासिक राजमहल में कुछ सरकारी कार्यालय भी हैं। भले ही अब राजाओं का दौर समाप्त हो गया हो, लेकिन राजमहल में अभी भी कई निशानिया मौजूद हैं, जिन्हे देखकर राजा महाराजाओं की शान-ओ शौकत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
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राज माधोराय
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राजमहल की एक ईमारत में जिला मण्डी के राजदेवता राज माधोराय का मंदिर है , माधोराय मण्डी जनपद के राजदेवता माने जाते हैं। माधोराय भगवान श्री कृष्ण का ही एक नाम है।
राजमहल की ही एक अन्य ईमारत में एक और मंदिर है जिसकी स्थापना रियासत काल के दौरान की गई थी। यह मन्दिर एक अन्य ईमारत की दूसरी मंजिल में स्थित है,जहाँ से दूसरी तरफ मण्डी बाजार का भी नज़ारा किया जा सकता है। यह मन्दिर श्री बाबा कोट को समर्पित है। बाबा कोट, शिव का रूप हैं, इसलिए यहाँ आने वाले भक्त लोग शिव के नाम जाप करते हैं। एक जनश्रुति के अनुसार, बाबा कोट का आगमन जिला चम्बा से हुआ था, ये चम्बा रियासत के भी देव हैं। जनश्रुति के अनुसार, मण्डी रियासत के एक राजा का विवाह चम्बा की राजकुमारी के साथ हुआ था।
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An Old Pic in Palace |
चम्बा रियासत गद्दी जनजाति से समबन्ध रखते थे, और गद्दी लोग जब भी अपनी भेड़ बकरी चराने जाते थे, तो अन्य सामान के अलावा उनके पास समय व्यतीत करने के लिए तम्बाकू और हुक्का जरूर होता था। चम्बा के गद्दी जाति के लोग आज भी बड़े गर्व के साथ बताते हैं कि भगवान् शिव की गद्दी मिलने के कारण ही उन्हें गद्दी कहा जाता है। उन्ही भगवान् शिव के एक रूप हैं श्री बाबा कोट। विवाह के बाद चम्बा के राजा ने बाबा कोट को अपनी बेटी के साथ रहने और उसकी रक्षा हेतु मण्डी रियासत के राजा के साथ मण्डी भेजा। जिसके बाद राजा ने अपने राजमहल की एक इमारत में बाबा कोट का मन्दिर स्थापित करवाया। तब से बाबा कोट यही निवास कर रहे हैं। आज भी उनके यहाँ साक्षात् रूप से होने का प्रमाण यही है कि आज भी यदि उनके सामने हुक्का तम्बाकू भर कर रख दिया जाये तो हुक्के से उठता धुआँ साफ देखा जा सकता है, ऐसा आभास होता है जैसे सचमुच में कोई व्यक्ति हुक्का पी रहा है।
बाबा के लिए मन्दिर में ही हुक्का रखा गया है। आजकल हुक्का में तम्बाकू पीने का प्रचलन बहुत ही कम हो गया है, जिस कारण बाज़ारो में भी तम्बाकू की उपलब्धता कम हो गई है, इसलिए अब भक्त लोग हुक्का के अलावा सिगरेट भी बाबा को पीने के लिए चढ़ाते हैं। सिगरेट जला कर बाबा को अर्पित कर दी जाती है जो अपने आप ही सुलगती रहती है और बाद राख़ हो जाती है। देखने वाले यही कहते हैं कि लगता है,जैसे कोई इंसान ही सिगरेट पी रहा हो। बाबा कोट की मूर्तियों के अलावा यहाँ एक शिवलिंग, पाषाण निर्मित मूर्तियां और राज परिवार से सम्बधित लोगों के चित्र भी हैं।
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